Read this also: श्रेया बनीं मिस फ्रेशर तो अंकित मिस्टर फ्रेशर पीपीपी मॉडल के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने बताया कि विगत वर्षो से केंद्र ओर राज्य सरकारों द्वारा विश्वविद्यालयो से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने बजट का कुछ हिस्सा प्राइवेट सेक्टर से पार्टनरशिप के तहत प्राप्त करें। गोरखपुर विश्वविद्यालय पूर्वांचल का सबसे बड़ा और आजादी के बाद का उत्तर प्रदेश का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय है। कैंपस की आधारिक संरचना अधिकतम पुरानी होने के कारण उचित रख रखाव की जरुरत है। पार्को का सौन्दर्यकरण इस प्रक्रिया में से एक महत्वपूर्ण पहल है और इसे ध्यान में रखते हुए पीपीपी मॉडल से इन्हें विकसित किया जाएगा।
प्रतिकुलपति प्रो. हरिशरण ने प्रायोजकों को चुने हुए पार्को में सुंदरीकरण का कार्य अति शीघ्र शुरू करने का सुझाव दिया ।
समिति के सदस्य/मीडिया प्रभारी प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि पीपीपी मॉडल की इस प्रक्रिया में पार्को को विभिन्न संस्थाओ ने तीन साल की अवधि के लिए गोद लिया है। विश्वविद्यालय और प्रायोजक संस्थाओ के संयुक्त तत्वावधान में चुने हुए पार्को को सुन्दर और हरा भरा बनाना है।
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इन निजी संस्थानों से हुआ करार इलाहाबाद बैंक, सोशल अवेयरनेस एंड डेवेलपमेंट वेलफेयर सोसाइटी, पार्क सरयू विकास संस्था, पूर्वांचल शुद्ध जल संस्थान, नाइन सेनेटरी नैपकिन्स
क्लीन ग्रीन कैंपस की नियमावली क्लीन ग्रीन कैम्पस की नियमावली के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत विश्वविद्यालय कैंपस के पार्को के सौंदर्यीकरण हेतु गोद लिए हुए पार्क पर प्रायोजक का कोई स्वामित्व नहीं होगा। प्रायोजक को पार्क में किसी व्यक्तिगत आयोजन का अधिकार नहीं होगा। प्रायोजक को न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि तक पार्को के सौंदर्यीकरण का उत्तरदायित्व उठाना होगा और उत्कृष्टता के आधार पर इस समय सीमा को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विश्वविद्यालय के प्रमुख कार्यक्रमों में प्रायोजक को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जायेगा।
इस बैठक में कुलपति प्रो.वीके सिंह, संयोजक/प्रति कुलपति प्रो. हरिशरण, रजिस्ट्रार डॉ. ओम प्रकाश, मीडिया प्रभारी प्रो. अजय शुक्ला, प्रो. विनीता पाठक, डॉ निखिल कुमार, डॉ के. सुनीता, वित्त और लेखाधिकारी पीएन सिंह, संपत्ति अधिकारी योगेश मिश्रा, राजेश गौर आदि मौजूद रहे।