गोरखपुर

गोरखपुर के मताधिकार से वंचित छात्र पहुंचे न्यायालय की शरण में, थम नहीं रहा विवाद

छात्रसंघ चुनाव में एलएलबी के ढाई सौ से अधिक छात्र/छात्रा वोट से किए गए वंचित

गोरखपुरSep 08, 2018 / 02:05 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

गोरखपुर के मताधिकार से वंचित छात्र पहुंचे न्यायालय की शरण में, थम नहीं रहा विवाद

गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इसमें विवाद भी खड़ा हो चुका है। सत्र के विवाद में ढाई सौ से अधिक छात्र-छात्राओं को मतदान से वंचित करने के विवि के फरमान से बखेड़ा शुरू हो चुका है। मतदान से वंचित छात्र/छात्रा अपने अधिकार की लड़ाई के लिए काफी मुखर हैं। दो दिनों के धरना-प्रदर्शन और कुलपति से गुहार के बाद अब वंचित छात्र-छात्रा उच्च न्यायालय से न्याय की उम्मीद लगाए हैं। छात्रों के अनुसार शुक्रवार को वंचित छात्रों की तरफ से इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। छात्रों को उम्मीद है कि न्यायालय उनके वोट देने के अधिकार को वापस दिलाएगा।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। नामांकन होने के बाद पर्चाें की जांच चल रही है। इधर, विवि कैंपस के लाॅ सिक्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं को छात्रसंघ चुनाव में वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। विवि प्रशासन का तर्क यह है कि सिक्थ सेमेस्टर के वर्तमान छात्र अबतक विवि से पढ़कर निकल गए होते लेकिन सत्र लेट होने की वजह से वे अभी तक पढ़ रहे हैं। नियमतः वे इस सत्र में होने वाले चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं। चुनाव अधिकारी प्रो.ओपी पांडेय ने बताया कि कुलपति के अलावा विवि छात्रसंघ चुनाव के लिए बने सलाहकार समिति के सामने भी इस मामले को रखा जा चुका है लेकिन सभी जिम्मेदारों ने विवि के निर्णय को सही ठहराया है।
उधर, विवि में वोट देने के अधिकार से वंचित छात्र/छात्राओं ने दूसरे दिन भी धरना-प्रदर्शन किया। कुलपति कार्यालय में पहुंच कर अपनी मांग रखी। लेकिन बात नहीं बनी। पूरे दिन छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे। छात्रों के मुताबिक उनके दल के कुछ सदस्य उच्च न्यायालय में भी अपील करने शुक्रवार को पहुंचे हुए थे। छात्रनेता प्रणय चतुर्वेदी ने रिट दायर किया। बताया जा रहा है कि इसकी सुनवाई सोमवार को संभव है।
छात्रों का आरोप है कि विवि प्रशासन की गलती से विधि के छात्र-छात्राओं का सत्र छह माह की देरी से चल रहा है। विवि के इसी रवैया की वजह से वे लोग न्यायिक सेवा की भर्तियों के लिए आवेदन नहीं कर पाएं। विधि के इन छात्रों का कहना है कि विवि में पढ़ने वाले सभी रेगुलर छात्रों को वोट देने का अधिकार है। ऐसे में वे भी भी रेगुलर छात्र हैं और उनको वोट देने के उनके अधिकार से वंचित करना न्यायोचित नहीं है। छात्र आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि लिंगदोह कमेटी सिफारिशों के अनुसार कुलपति को विश्वविद्यालय के संबंध में विशेषाधिकार प्राप्त है। विवि स्वयं में एक स्वायत्त संस्था है और कुलपति इसके मुखिया। वे वोटिंग के अधिकार को प्रदान करने के संबंध में निर्णय लेने में सक्षम हैं।
 
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