उन्होंने कहा कि यादों में जीवन के सुनहरे पलों को संजोने की ताकत होती है। पुरातन छात्र सम्मेलन ऐसी यादों को साझा करने का उपयुक्त मंच होता है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन से जुड़ी बहुत सी यादें मेरे जेहन में आज भी ताजा हैं। मैं दुनिया के किसी भी मंच पर होता हूं, मेरा परिचय हमेशा गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में ही दिया जाता है। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि उन दिनों मेरे तेवर काफी तेज थे लेकिन कभी उसका गलत इस्तेमाल नहीं किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सभा को अकेले बाधित करने के प्रसंग का जिक्र भी किया। साथ ही छात्रों की समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन की यादों को भी साझा किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शायद गोरखपुर देश का एकमात्र शहर है, जहां छात्रसंघ के नाम पर एक चौराहा है।
विश्वविद्यालय की स्थापना की परिस्थितियों की चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह आजादी के बाद स्थापित होने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है। इस क्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना में गोरक्ष पीठ के योगदान की चर्चा की। उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों को याद भी किया।
उनके संबोधन के बाद कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने उन्हें डिस्टिंग्विश अवार्ड से सम्मानित किया। साथ ही राजनाथ सिंह के नाम पर विज्ञान संकाय के टॉपर व प्रो. देवेंद्र शर्मा की याद में भौतिक विज्ञान के स्नातकोत्तर टॉपर को गोल्ड मेडल देने की घोषणा की।