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डाॅ.कफिल खान फिर लौटना चाहते हैं बीआरडी मेडिकल काॅलेज में, आक्सीजन कांड में आरोपी बनाए गए थे

locationगोरखपुरPublished: May 20, 2018 03:17:39 am

आठ महीने जेल काटने के बाद न्यायालय से जमानत पर छूटे हैं डाॅ.कफिल

dr kafeel

BRD Medical College Kafeel Khan

गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल काॅलेज में हुए आक्सीजन कांड में आरोपी बनाए गए डाॅ.कफिल खान दुबारा मेडिकल काॅलेज में वापस आना चाहते हैं। कई महीने जेल में बिताने के बाद डाॅ. कफिल बीते दिनों रिहा हुए थे। हाईकोर्ट ने डाॅ.कफिल पर लगे कई आरोपों को खारिज कर दिया था और उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी।
फिलवक्त, डाॅ.कफिल मेडिकल काॅलेज से निलंबित हैं। शनिवार को डाॅ.कफिल मेडिकल काॅलेज पहुंचे। प्राचार्य डाॅ.गणेश कुमार से मुलाकात की और अपने वापस आने की इच्छा से अवगत कराते हुए प्रार्थना पत्र दिया। उन्होंने निलंबन खत्म कराने के लिए आवेदन करने के बाद काफी देर तक प्राचार्य से गुफ्तगूं भी की।
डाॅ.कफिल के फिर से वापस आने की इच्छा जताने के बाद मेडिकल काॅलेज प्रशासन ने उनके आवेदन को शासन के पास भेजकर संपूर्ण स्थिति से अवगत कराने का निर्णय लिया है। उनके ज्वाइनिंग के लिए शासन की हरीझंडी का इंतजार करना चाहता।
डाॅ.कफिल ने अपने आवेदन पत्र के साथ आक्सीजन कांड में डाॅ.कफिल की संलिप्तता संबंधी जांच रिपोर्ट, हाईकोर्ट के आर्डर की कापी को भी प्राचार्य को सौंपा। प्राचार्य के निर्देश पर उनके आवेदन को बाकायदा रिसीव किया गया। सोमवार को आवेदन पत्र को शासन को भेज दिया जाएगा।
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आक्सीजन कांड के दौरान सुर्खियों में आए थे डाॅ.कफिल

बाल रोग विभाग में कार्यरत डाॅ.कफिल अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल काॅलेज में आक्सीजन सप्लाई बाधित होने से बच्चों की हुई मौतों के मामले में सुर्खियों में आए थे। आक्सीजन सप्लाई बाधित होने के बाद डाॅ.कफिल द्वारा आक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था कराने में की गई मशक्कत की हर ओर तारीफ हुई थी। लेकिन कुछ ही घंटों में हीरो से विलेन बनते देर न लगा। तत्कालीन प्राचार्य से लगायत कई डाॅक्टर्स को सरकार ने इस हादसे का आरोपी करार दिया। इसमें सबसे गैर जिम्मेदार डाॅ.कफिल को माना गया। शासन के आदेश पर जो केस दर्ज हुआ उसमें भी डाॅ.कफिल पर कई गंभीर आरोप लगाया गया। उनकी तलाश में पुलिस छापामारी करती रही। एसटीएफ लगाकर उनको खोजवाया गया और जेल हुआ। लेकिन न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह माना कि पुलिस ने डाॅ.कफिल के खिलाफ लगे आरोपों के सापेक्ष सबूत पेश नहीं किए। सुनवाई के दौरान डाॅ.कफिल की ओर से जमानत अर्जी को अदालत ने स्वीकार कर लिया और करीब आठ महीने के बाद डाॅ.कफिल की रिहाई हो सकी।

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