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सुनिए AUDIO: योगी सरकार की बेलगाम नौकरशाही, शिक्षा निदेशालय में रिश्वत के खिलाफ आवाज उठाई तो दर्ज हो गया मुकदमा !

locationगोरखपुरPublished: Nov 09, 2017 06:37:38 pm

शिक्षक नेता की हैसियत से संगठन के व्हाट्सअप ग्रुप में एक शिक्षक की व्यथा लिखना इनके लिये मुसीबत का सबब बन गया है।

letter to leader
गोरखपुर। नौकरशाही व राजसत्ता को संरक्षण देने वाले राजस्थान के काले कानून जैसे हालात उत्तर प्रदेश में भी उत्पन्न किये जाने की कोशिश की जा रही है। शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना यहां के एक वरिष्ठ शिक्षक को भारी पड़ गया है। शिक्षक नेता की हैसियत से संगठन के व्हाट्सअप ग्रुप में एक शिक्षक की व्यथा लिखना इनके लिये मुसीबत का सबब बन गया है। इसे सरकारी तंत्र की निंदा मानते हुए केस दर्ज करने की बात कर इलाहाबाद साइबर सेल जांच शुरू कर दिया है।
उधर, शिक्षक संगठन गुआक्टा व सुआक्टा ने अपने शिक्षक नेता डॉ.राजेश चंद्र मिश्र के खिलाफ हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए उनके साथ निदेशालय के भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।
मामला यह है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध कॉलेज शिक्षक संघ (गुआक्टा) के पूर्व अध्यक्ष व AIFUCTO के जोनल सेक्रेटरी डॉ.राजेश चंद्र मिश्र से बीते दिनों आजमगढ़ जनपद के एक डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राम अवध सिंह यादव ने अपनी सेवा संबंधी एक मामले में विभागीय भ्रष्टाचार की व्यथा लिखते हुए उनसे मदद की मांग की थी। पत्र के माध्यम से आजमगढ़ के श्री गांधी पीजी कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ.रामअवध सिंह ने बताया था कि हाईकोर्ट के एक फैसले की तामीली कराने व स्केल फिक्सेशन कराने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय के डीलिंग क्लर्क द्वारा रिश्वत मांगी जा रही। नहीं देने पर कई महीने से फाइल को रोक रखी गई है। उन्होंने बताया कि क्लर्क बता रहा कि जो रिश्वत वह लेगा उसमें सबका हिस्सा होगा और ऊपर तक जाएगा। पीड़ित शिक्षक ने पत्र में लिखा है कि बार बार छुट्टी लेकर उनको निदेशालय जाना पड़ रहा। अब बात 8 हज़ार पर अटक गई है। मुझे थकहार रिश्वत की रकम देनी होगी। कार्यवाहक प्राचार्य ने शिक्षक नेता को लिखे पत्र में आगे लिखा कि आप शिक्षकों के नेता हैं। आप हम सब की समस्याएं सुलझवायें।
बता दें कि पत्र मिलने के बाद शिक्षक नेता राजेश चंद्र मिश्रा ने शिक्षक की रिश्वत वाली व्यथा अपने व्हॉट्सअप ग्रुप में साझा कर दी। साथ ही इस प्रकरण का जिक्र करते हुए सपा की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार व बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तुलना कर दी।
डॉ.मिश्र ने बताया कि एक दिन अचानक उनके फोन पर एक कॉल आया। इलाहाबाद जिला के साइबर सेल प्रभारी राजकुमार वर्मा के ऑफिस उनको बुलाया गया। फ़ोन करने वाले ने बताया कि आपने आपत्तिजनक पोस्ट की है। फिर उस पोस्ट के बारे में बताया गया और आकर बयान दर्ज करने को कहा गया। शिक्षक नेता ने जब पूछा की पोस्ट में क्या आपत्तिजनक है तो कॉल करने वाले ने यह बताया कि शिकायत करने वाले को आपत्ति है।
शिक्षक नेता ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत के संविधान ने अभिव्यक्ति की आजादी दी है। हर एक नागरिक को इसका अधिकार है। एक संगठन का अगुवा होने की वजह से भी शिक्षकों की समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाना उनका परम कर्तव्य है। अब इसे सरकार या सरकारी मुलाजिम किसी की निंदा माने और केस दर्ज हो तो हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगने लगेगा।
हालांकि, शिक्षक संगठन गुआक्टा ने शिक्षक नेता के खिलाफ कार्रवाई पर मुखर विरोध शुरू कर दिया है। Guacta अध्यक्ष डॉ.एसएन शर्मा ने कहा कि यह कार्रवाई निंदनीय है। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा निदेशालय शिक्षकों की आवाज दबाने के लिए पुलिसिया कार्रवाई करवा रहा। Suacta के अध्यक्ष डॉ.अरविन्द द्विवेदी व पूर्वान्चल विवि शिक्षक संघ के विजय सिंह ने भी निंदा की है
*ये पोस्ट है*

योगी जी,
कुछ करिये
यूपी हाइकोर्ट के 3 जजो के फैसले से जो भी कार्यवाहक प्राचार्य का कार्य करेंगे उसे प्राचार्य का स्केल 10000 agp के साथ मिलेगा।इसी निमित दिनाँक 30 अप्रेल 2017 को कार्यवाहक प्राचार्य डॉ रामअवध सिंह यादव,कार्यवाहक प्राचार्य श्री गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय,मालटारी,आजमगढ़ सभी वांछित प्रपत्रों को निदेशालय प्रेषित किया। जब माह भर बाद डीलिंग क्लर्क श्री सन्त राम से सम्पर्क किया तो उसने इस कार्य के लिये 10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।जब उन्होंने इसे देने से मना किया तो उसका कथन था कि इस 10 हजार में सबका हिस्सा है।अंततः थक हार कर 6 माह बाद रुपया 8000 पर वह माना। जो उसे देने को यादव जी बाध्य और मजबूर हो गए।अंततः कल उसे 8000 रुपया वह भेज रहे है।जन सामान्य में यह आम चर्चा है कि अखिलेश यादव की तुलना में योगी सरकार में रिश्वत की दर दुगुनी हो गई है।कृपया इसे संज्ञान में लेकर सरकार की क्षवि को धूमिल होने से बचावे।
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