पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद भी हैं सपा के मजबूत दावेदार पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत दावेदार हैं। वह अपने समुदाय में एक जाना पहचाना नाम हैं। कभी बसपा सरकार में मंत्री रहे रामभुआल निषाद 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा से गोरखपुर ग्रामीण विस से चुनाव लड़े और तीसरा स्थान हासिल कर पायें थे और करीब 41 हजार वोट हासिल किए थे। वह बसपा से 2002 में कौड़ीराम से विधायक चुने गये थे। बसपा ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया था और यह कभी सपा के मंच तो कभी भाजपा के मंच पर नजर आते थे। आखिर में 2017 चुनाव के पहले इन्होंने भाजपा का दामन थामा। भाजपा में इन्होंने गोरखपुर ग्रामीण व चैरीचैरा से उम्मीदवारी जतायी थी। राजनीतिक जानकार इस बात से मुतमईन थे कि चैरी-चैरा से तो रामभुआल को टिकट मिल ही जायेगा। लेकिन पार्टी ने संगीता यादव को टिकट देकर सबको चैंका दिया। जबकि गोरखपुर ग्रामीण सीट पर योगी समर्थक विपिन सिंह को प्रत्याशी बना दिया गया।
टिकट नहीं मिलने से रामभुआल निषाद बागी हो गए।
पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को टिकट न दिए जाने के विरोध में निषाद सभा ने तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का पुतला भी फूंका था। भाजपा का झंडा जलाया था। बागी रामभुआल को समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक विजय बहादुर यादव का साथ मिल गया। उन्होंने बिना देर किए सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करा दी। अखिलेश यादव ने भी रामभुआल को पार्टी में शामिल कराकर चिल्लूपार से प्रत्याशी बना दिया था। तभी से रामभुआल सपा में सक्रिय हैं। इस बार सपा संसदीय उपचुनाव में उनपर दांव लगा सकती है।
टिकट नहीं मिलने से रामभुआल निषाद बागी हो गए।
पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को टिकट न दिए जाने के विरोध में निषाद सभा ने तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का पुतला भी फूंका था। भाजपा का झंडा जलाया था। बागी रामभुआल को समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक विजय बहादुर यादव का साथ मिल गया। उन्होंने बिना देर किए सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करा दी। अखिलेश यादव ने भी रामभुआल को पार्टी में शामिल कराकर चिल्लूपार से प्रत्याशी बना दिया था। तभी से रामभुआल सपा में सक्रिय हैं। इस बार सपा संसदीय उपचुनाव में उनपर दांव लगा सकती है।