बताया जा रहा है कि बीते 29 मार्च को एनई रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त राजाराम के मोबाइल नंबर पर एक फोन आया। फोन करने वाले खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया। बताया कि वह सीबीआई लखनऊ में तैनात है और गोंडा में तैनात आरपीएफ के इंस्पेक्टर खिलाफ जांच का निर्देश मिला है। खुद को 96 के बैच का आईपीएस बताते हुए इंस्पेक्टर के कुछ कागजात मांगे। फोन करने वाले की बातों पर मुख्य सुरक्षा आयुक्त को कुछ शक हुआ। उन्होंने सीबीआई अफसर के बारे में गोपनीय तरीके से अपने उच्चसूत्रों से पता लगवाया। जैसे जैसे फोन करने वाले के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई, अधिकारियों के होश उड़ने लगे। पता लगा कि फोन करने वाला फर्जी आईपीएस है। वह विभिन्न नंबरों से कभी आलोक कुमार तो कभी राजीव कुमार बनकर अधिकारियों को फोन करता है। पड़ताल शुरू हुई तो पता लगा कि उक्त व्यक्ति ने एनई रेलवे के डीआरएम, प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक, प्रमुख मुख्य यांत्रिक अभियंता, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, सहायक वाणिज्य प्रबंधक के अलावा अन्य रेल डिवीजन्स के दर्जन भर से अधिक अधिकारियों को फोन किया है।
पूरी पड़ताल के बाद आरपीएफ ने फर्जी अधिकारी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। फिर उसे धरदबोचा गया। पूछताछ में उसने अपना नाम प्रेम शंकर सिंह बताया। वह चंदौली के अलीनगर क्षेत्र के कचमन गांव का रहने वाला है। बताया जा रहा है कि प्रेमशंकर रेलवे में कर्मचारी रहा है लेकिन बर्खास्त कर दिया गया था।