इसके बाद संसदीय चुनाव मैदान में आये योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राजनैतिक सफर शुरू की। जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। इसके साथ ही योगी ने सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल कर लिया। योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोकसभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। वर्ष 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2009 में दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2014 में पांचवी बार सांसद चुने गए। एक बार फिर इन्हें दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतने का गौरव मिला। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया था। इस चुनाव प्रचार ने योगी का कद काफी ऊंचा कर दिया था। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री पद पर आसीन कर दिया गया।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया था। इस चुनाव प्रचार ने योगी का कद काफी ऊंचा कर दिया था। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री पद पर आसीन कर दिया गया।
3 दशक पुराना है भाजपा से नाता
आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी का नाता 3 दशक पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त अवेद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया।
आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी का नाता 3 दशक पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त अवेद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया।
इस बार भी मंदिर की ओर से योगी कमलनाथ का नाम आगे आया था बीजेपी के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार गोरखपुर संसदीय उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर योगी कमलनाथ का नाम प्रस्तावित किया गया था। गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ दशकों से मंदिर में रह रहे हैं। योगी आदित्यनाथ भी मंदिर के ही किसी को चाहते थे लेकिन संगठन की ओर से क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल का नाम सामने आया। सभी समीकरणों और हालातों को सोचने समझने के बाद बीजेपी ने संगठन से जुड़े व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया।