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गोरखपुर उपचुनावः टूटी परंपरा, मंदिर ने नहीं भाजपा ने तय किया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी

locationगोरखपुरPublished: Feb 19, 2018 12:42:03 pm

गोरखनाथ मंदिर से चुनाव लड़ने वाले गुरुओं ने खुद तय किए हमेशा अपने राजनैतिक उत्तराधिकारी

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सीएम योगी

गोरखपुर। गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी की बात हो या राजनैतिक उत्तराधिकारी की, दशकों से यह परंपरा रही है कि मंदिर के महंत अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी खुद घोषित करते रहे हैं लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि गोरखनाथ मंदिर के प्रभाव क्षेत्र वाली गोरखपुर संसदीय सीट पर भाजपा ने अपने पसंद का प्रत्याशी उतार दिया।
दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मांतरण की घटना से आहत मन्दिर के महंत अवेद्यनाथ ने राजनीति में पदार्पण किया। इन्होंने विधानसभा से अपनी पारी की शुरुआत की, लेकिन यह उनके गुरु और मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ का प्रसाद स्वरूप था। उन्होंने ही महंत अवेद्यनाथ को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था।
महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी हुए। इसके पहले महंत अवेद्यनाथ ने वर्ष 1962, 1967, 1974 व 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1970, 1989, 1991 और 1996 में हुए लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की और गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे। फिर इन्होंने अपने शिष्य और मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया और भारतीय जनता पार्टी ने उनके निर्णय पर मुहर लगा दी थी।
35 वर्षों तक हिन्दू महासभा और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले महंत अवेद्यनाथ ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से दूर रखा। राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया।
इसके बाद संसदीय चुनाव मैदान में आये योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राजनैतिक सफर शुरू की। जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। इसके साथ ही योगी ने सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल कर लिया। योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोकसभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। वर्ष 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2009 में दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2014 में पांचवी बार सांसद चुने गए। एक बार फिर इन्हें दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतने का गौरव मिला। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया था। इस चुनाव प्रचार ने योगी का कद काफी ऊंचा कर दिया था। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री पद पर आसीन कर दिया गया।
3 दशक पुराना है भाजपा से नाता
आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी का नाता 3 दशक पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त अवेद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया।
इस बार भी मंदिर की ओर से योगी कमलनाथ का नाम आगे आया था

बीजेपी के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार गोरखपुर संसदीय उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर योगी कमलनाथ का नाम प्रस्तावित किया गया था। गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ दशकों से मंदिर में रह रहे हैं। योगी आदित्यनाथ भी मंदिर के ही किसी को चाहते थे लेकिन संगठन की ओर से क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल का नाम सामने आया। सभी समीकरणों और हालातों को सोचने समझने के बाद बीजेपी ने संगठन से जुड़े व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया।

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