बता दें कि सीआईएसआर-सीमैप (केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) लखनऊ के तकनीकी सहयोग से महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक जंगल कौड़िया द्वारा निर्मित अगरबत्ती की ब्रांडिंग “श्री गोरखनाथ आशीर्वाद” नाम से की गई है। इसके उत्पादन से लेकर विपणन तक की व्यवस्था गोरखनाथ मंदिर प्रशासन के हाथों है।
लखनऊ में भी होगी शुरुआत सीमैप लखनऊ के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसी मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से पहली बार अगरबत्ती बनाने का काम हो रहा है। जल्द ही लखनऊ के चन्द्रिका देवी मंदिर में भी ऐसा ही प्रयास शुरू किया जाएगा।
इस तरह बनती है फूलों से अगरबत्ती मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित कर उन्हें सुखाने के लिए एक मशीन में डाल दिया जाता है। इसके बाद उसका पाउडर बनाया जाता है। फिर इस पाउडर को आटे की तरह गूंथ कर लकड़ी के आटे के साथ स्टिक पर परत के रूप में चढ़ाया जाता है। अंत में लेपित स्टिक को तरल खुश्बू में भिगोकर सूखा लिया जाता है।