scriptउसे बेेरहमी से मार दिया गया लेकिन न शहर जागा न पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाई | four year child brutally attacked, after death no postmortem | Patrika News

उसे बेेरहमी से मार दिया गया लेकिन न शहर जागा न पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाई

locationगोरखपुरPublished: Apr 25, 2018 12:14:44 pm

कठुआ कांड की आसिफा को तो न्याय मिल जाएगा लेकिन मासूम खुशी को न्याय कौन दिलाएगा

masum bachchi
गोरखपुर। चार साल की मासूम खुशी इस दुनिया से चल बसी। किसी दरिंदे की दरिंदगी की शिकार वह हो गई। चार साल की मासूम ने क्या-क्या जुल्म सहे होंगे। आखिर उससे किसी की क्या खुन्नस थी जो उसे इतनी बेरहमी से मारा गया। यह सवाल मासूम खुशी के साथ ही दफन हो गए। और अपराधियों के लिए काल बनने का दावा कर रही योगी की पुलिस को इतनी फुर्सत तक नहीं मिली कि वह बच्ची का पोस्टमार्टम करा बच्ची को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करे।
https://www.patrika.com/gorakhpur-news/brutal-attack-on-four-year-girl-child-in-gorakhpur-2698554/
तीन दिन पूर्व की यह वारदात कठुआ कांड से कम खौफनाक नहीं है। वैसे ही फुटपाथ पर रहने वालों की जिंदगी किसी यातना से कम नहीं होती लेकिन मेहनत-मजदूरी के बल पर तमाम जिंदगियां यहां गुजर बसर करती हैं। दो जून की रोटी तलाश ही मासूम खुशी के मां-बाप को गोरखपुर खींच लाई थी। तभी से फुटपाथ ही इनका आसरा था। रोज की तरह इस शनिवार को भी खुशी अपने पिता की गोद में सोेयी हुई थी। देर रात में अचानक से कोई दरिंदा चुपके से उसे उठा लिया। जब रात में परिवारीजन की नींद खुली तो खुशी को वहां न पा सब परेशान हो गए। उसी रात बदहवास उसे खोजने लगे। काफी देर की खोजबीन के बाद वह एक सरकारी बंगले के परिसर में झाड़ियों में मिली। बेहोश। गले व सिर से खून का तेजी से रिसाव हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि बच्ची की जान लेने की कोशिश की गई थी।
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बच्ची को इस हालत में पा मां-पिता परेशान हो गए। दौड़ते हुए पास के पिकेट से पुलिसवालों को बुला लाया। पुलिस वालों ने बच्ची को जिला अस्पताल पहुंचवाया लेकिन डाॅक्टर नेे बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए मेडिकल काॅलेज भेज दिया। वहां इलाज के बाद फिर मासूम खुशी घर आ गई। लेकिन अगले दिन अचानक से उसकी हालत और बिगड़ने लगी। आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान वह जिंदगी की जंग हार गई।
मासूम संग दरिंदगी की सूचना पाकर पुलिस भी काफी सक्रिय रही। लेकिन वह इस मामले को किसी तरह निपटाने में लगी थी। जैसे ही मासूम की मौत हुई जल्दी से उसके शव को परिवारीजन को सौंप दिया गया। बिना पोस्टमार्टम कराए ही मामले को रफादफा कर दिया गया।
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