गोरखपुर जिले में कुल सात लाख 80 हजार राशन कार्डधारक हैं। इनमें पात्र गृहस्थी के 6,53,608 और अंत्योदय के 1,23,392 कार्डधारक हैं। इन कार्डधारकों की जिला प्रशासन से लेकर आपूर्ति विभाग को लगातार यह शिकायतें मिल रही थी कि नियम को दरकिनार कर इनके कार्ड बनाए गए हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कोटेदार विभाग की मदद से लोगों का फर्जी नाम भी जुड़वा दिए।
डीएम ने इस मामले की जांच कराई तो 14 कोटेदार भी इसमें दोषी पाए गए। सभी कोटेदारों को नोटिस देते हुए कोटा निरस्त करने का निर्देश भी डीएम ने दे दिया । जिला पूर्ति अधिकारी रमेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सत्यापन के बाद जो भी अपात्र मिलेंगे, उनका कार्ड निरस्त कर पात्रों का कार्ड बनवाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।
ये होंगे नए नियम के तहत राशनकार्ड बनवाने के लिए पात्र
खुद के नाम जमीन न हो।
पक्का मकान न हो।
भैंस, बैल, ट्रैक्टर-ट्रॉली न हो।
मुर्गी पालन, गौ पालन आदि न करता हो।
शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो।
जीविकोपार्जन के लिए कोई अजीविका का साधन न हो।
खुद के नाम जमीन न हो।
पक्का मकान न हो।
भैंस, बैल, ट्रैक्टर-ट्रॉली न हो।
मुर्गी पालन, गौ पालन आदि न करता हो।
शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो।
जीविकोपार्जन के लिए कोई अजीविका का साधन न हो।
मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया था जिले में कम से कम तीन स्तर की जांचों के बाद राशन कार्ड निरस्त किए जाए। यदि इसके बाद भी किसी जरूरतमंद का कार्ड निरस्त होता है तो इसके जिम्मेदार अधिकारी होंगे। हर जरूरतमंद को मानक के अनुसार राशन उपलब्ध कराया जाए।