गोरखपुर। थोड़ा सा साथ मिलते ही वह अपनी जिम्मेदारियों का बाखूबी इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हट रही हैं। पढ़ाई और परीक्षा में पुरुषों को मात दे रही आधी आबादी ने इस बार उपचुनाव में भी पुरुष प्रधान समाज को आइना दिखा दी हैं। मजबूत लोकतंत्र के लिए महिलाओं ने पुरुषों की अपेक्षा अधिक जागरूकता मतदान करने में दिखाई। हालांकि, एक बात जरूर खल सकता है कि शहरी मतदाताओं ने वोट देने में उदासीनता तो दिखाई ही, यहां वोट देने में महिलाएं, पुरुषों से पीछे हो गईं।
गोरखपुर में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए शहर का एलिट क्लास, समाजिक संगठन और स्कूल-काॅलेजों ने जिला प्रशासन केसाथ मिलकर खूब जागरूकता अभियान चलाया। लेकिन यह जागरूकता अभियान कोई
काम न कर सका। पिछले लोकसभा चुनाव से करीब छह प्रतिशत कम वोटिंग इस उपचुनाव में हुई। सबसे खराब स्थिति गोरखपुर शहर विधानसभा की रही। यहां 38.5 प्रतिशत मतदाता ही अपने सांसद का चुनाव करने बूथ तक पहुंचे। यह तब है जब पूरे जागरूकता अभियान का केंद्र शहर ही रहा।
हालांकि, इन सबके बीच एक सुखद बात यह कि गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र की महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पछाड़ दिया है। घूंघट की ओट में बाहर निकली महिलाओं ने वोटिंग प्रतिशत की लाज रख ली। लोकसभा क्षेत्र में करीब 10 लाख 72 हजार पुरुष मतदाताओं में चार लाख अन्ठानवे हजार ने मताधिकार का प्रयोग किया। यह करीब 46 प्रतिशत के आसपास है। जबकि आठ लाख सतहत्तर हजार महिला मतदाताओं में चार लाख छततीस हजार महिलाओं ने वोट किया। यानि पचास प्रतिशत के आसपास।
विधानसभावार अगर आंकड़ों को देखें तो भी महिलाओं ने पुरुषों को वोटिंग में पीछे छोड़ दी है। कैंपियरगंज में 47.54 पुरुष और 54.59 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 48.35 प्रतिशत पुरुषों और 48.94 प्रतिशत महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया।
पिपराईच विधानसभा क्षेत्र में 50.13 प्रतिशत पुरुषों और 58.61 प्रतिशत महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है।
सहजनवा क्षेत्र में 46.65 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 54.02 महिलाएं घरों से निकली और वोट देकर मजबूत लोकतंत्र की पहल की। हालांकि, गोरखपुर शहर के आंकड़े काफी निराश करने वाले हैं। यहां पुरुषों और महिलाओं दोनों ने वोटिंग में कोई खास रुचि नहीं दिखाई। 40.52 प्रतिशत पुरुषों ने और 35.09 प्रतिशत महिलाओं ने वोट देकर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव किया।