दो लोग थे पार्टी की टिकट के दौड़ में पार्टी सूत्रों की अगर मानें तो अभी कुछ दिनों पहले तक पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को इशारा कर दिया गया था लेकिन कुछ हफ्तों से विपक्षी एका के नाम पर बन रहे नए राजनैतिक समीकरण में एक और नाम इसमें जुड़ गया था। निषाद दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ.संजय निषाद के सुपुत्र संतोष निषाद का नाम। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद पार्टी की पहली पसंद थे। लेकिन नए समीकरण में डाॅ.संजय निषाद के पुत्र संतोष निषाद को पार्टी अपना प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया। राजनैतिक जानकार बताते हैं कि गोरखपुर संसदीय क्षेत्र निषाद बाहुल्य क्षेत्र है। निषाद दल बीते कुछ सालों में जातिय एकता के लिए काफी काम किया है। बीते विधानसभा चुनाव में इस पार्टी का प्रभाव भी दिखा। विपक्ष को चुनाव जीतने के लिए पिछड़े वर्ग के अलावा इस समुदाय का वोट बेहद जरूरी है। विपक्ष की रणनीति यह है कि किसी भी सूरत में निषाद वोटों का बंटवारा न हो। ऐसे में डाॅ.संजय निषाद को सपा अपने पाले में करने की कोशिश में थी।
सूत्रों की मानें तो इसके लिए कई दौर में बातचीत की गई। बातचीत सकरात्मक दिशा में बढ़ी। बृहस्पतिवार को ही सभी मुद्दों पर सहमति बन चुकी थी। रविवार को इसका ऐलान किया गया।
जानकार बताते हैं कि विपक्षी रणनीतिकार यह मानते हैं कि सपा के पास यादव व मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक है ही। अगर निषाद समुदाय का वोट भी एकमुश्त मिल जाए तो उपचुनाव में परिणाम अपनेे पक्ष में किया जा सकता है।
ऐसे में डाॅ.संजय निषाद के पुत्र इंजीनियर संतोष निषाद के नाम पर सपा ने हामी भर दी। सपा अपने सिंबल पर इस निषाद नेता के पुत्र को उपचुनाव लड़ाएगी।
सूत्रों की मानें तो इसके लिए कई दौर में बातचीत की गई। बातचीत सकरात्मक दिशा में बढ़ी। बृहस्पतिवार को ही सभी मुद्दों पर सहमति बन चुकी थी। रविवार को इसका ऐलान किया गया।
जानकार बताते हैं कि विपक्षी रणनीतिकार यह मानते हैं कि सपा के पास यादव व मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक है ही। अगर निषाद समुदाय का वोट भी एकमुश्त मिल जाए तो उपचुनाव में परिणाम अपनेे पक्ष में किया जा सकता है।
ऐसे में डाॅ.संजय निषाद के पुत्र इंजीनियर संतोष निषाद के नाम पर सपा ने हामी भर दी। सपा अपने सिंबल पर इस निषाद नेता के पुत्र को उपचुनाव लड़ाएगी।