गोरखपुर। सदर संसदीय सीट यानी गोरखपुर संसदीय सीट पर अबतक दो बार उपचुनाव की नौबत आई है। इस सीट पर पहला उपचुनाव गोरखपुर के सांसद व तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद हुआ था। यह दूसरा उपचुनाव होने जा रहा है।
1967 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े। इस चुनाव में जनता ने महंत दिग्विजयनाथ के पक्ष में जमकर मतदान किया और वह चुनाव जीत गए। महंत दिग्विजयनाथ यह चुनाव 121490 मत पाकर जीते थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी एसएल सक्सेना को हराया था। सक्सेना 78775 वोट पाकर रनरअप रहे। लेकिन महंत दिग्विजयनाथ यह कार्यकाल पूरा न कर सकें और उनके निधन के बाद 1969 उपचुनाव इस सीट पर हुआ। उनकी जगह उनके उत्तराधिकारी महंत अवेद्यनाथ ने उपचुनाव लड़ा। महंत अवेद्यनाथ यह चुनाव जीत गए। लेकिन 1971 के आम चुनाव में महंत अवेद्यनाथ को हार का सामना करना पड़ा। उनको कांग्रेस के नेता नरसिंह नारायण पांडेय ने पराजित किया। नरसिंह नारायण पांडेय 136843 मत पाकर चुनाव जीत गए। वहीं, महंत अवेद्यनाथ 99265 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इस हार के बाद महंत अवेद्यनाथ ने संसदीय राजनीति से दूरी बनाते हुए विधानसभा चुनाव में ही शिरकत करते रहे।
1989 में महंत अवेद्यनाथ एक बार फिर संसदीय चुनाव मैदान में उतरे। गोरखपुर संसदीय सीट से वह हिंदू महासभा से लड़े और 193821 जबकि जनता दल के रामपाल सिंह 147984 वोट पाकर दूसरे स्थान पर, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी व निवर्तमान सांसद मदन पांडेय को तीसरे स्थान पर रहे।
1989 के इस चुनाव के बाद तो गोरखपुर संसदीय सीट पर गोरखनाथ
मंदिर का कब्जा अजेय हो गया। 1991 में हुए चुनाव में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे। यह चुनाव भी उन्होंने आसानी से जीत ली।
1992 व 1996 में भी गोरखपुर के सांसद महंत अवेद्यनाथ ही चुने गए। 1996 का चुनाव जीतने के बाद महंत अवेद्यनाथ ने राजनीति से सन्यास ले ली। 1998 में उन्होंने यह सीट अपने उत्तराधिकारी
योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। योगी आदित्यनाथ पहली बार चुनाव मैदान में थे। 1998 में योगी को जीत हासिल हुई। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे। इसके बाद हुए चारो संसदीय चुनाव का परिणाम योगी आदित्यनाथ के पक्ष में रहा। योगी आदित्यनाथ 1998 के बाद 1999, 2004, 2009 और 2014 का चुनाव लगातार जीतकर पांच चुनाव लगातार जीतने वाले गोरखपुर के पहले सांसद बने।
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री बनने केबाद योगी आदित्यनाथ एमएलसी निर्विरोध निर्वाचित हुए और इसी के साथ उन्होंने संसद सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद यह सीट रिक्त हो गई। अब 11 मार्च को इस सीट पर उपचुनाव की तारीख तय की गई है। यह गोरखपुर के संसदीय इतिहास का दूसरा उपचुनाव होगा।