scriptGorakhpur literature fest second day sessions | गोरखपुर लिटरेचर फेस्टः सारा आसमान पाने की जिद ठानी प्रतिभाओं की गाथा, समानता के संघर्ष पर विमर्श और कुछ कविता और थोड़ी शायरी | Patrika News

गोरखपुर लिटरेचर फेस्टः सारा आसमान पाने की जिद ठानी प्रतिभाओं की गाथा, समानता के संघर्ष पर विमर्श और कुछ कविता और थोड़ी शायरी

locationगोरखपुरPublished: Oct 08, 2018 11:11:44 am

शब्द संवाद

Manoj muntashir
शहर में आयोजित लिटलेचर फेस्ट रविवार की रात में कवियों और शायरों की शानदार रचनाओं को जेहन में उतारने के बाद अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ चला।
दो दिनी कार्यक्रम के दूसरे दिन का पहला सत्र युवाओं के नाम रहा। जबकि दूसरे सत्र में सुप्रसिद्ध स्आर अखिलेंद्र मिश्र, गीतकार मनोज मुंतशिर ने लिटरेरी फेस्ट में चार चांद लगा दिया।
गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के भाषा, साहित्य और संगीत की दुनिया विषयक गुफ्तगू में प्रसिद्ध सिने अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने कहा कि कला, साहित्य और संगीत हमारे संस्कारों में रहे हैं तथा वैदिक काल से भारतवर्ष ने एक इन क्षेत्रों में संपूर्ण विश्व को मार्गदर्शन देने का कार्य किया है। शब्द ब्रह्म की परिकल्पना भारत के वैदिक साहित्य में ही वर्णित है। एक कलाकार मात्र किसी चरित्र को पर्दे अथवा स्टेज पर जीवंत करने का कार्य नहीं करता बल्कि वह एक साधक होता है। उन्होंने कहा कि कला और मनोरंजन की दुनिया मात्र आभासी दुनिया ना होकर हमारे समाज को सही ढंग से और स्पष्ट प्रतिबिंबित करने की दुनिया है। ऐसे में एक कलाकार, लेखक, प्रस्तुतकर्ता और निर्देशक की भूमिका समाज के लिए बहुत खास होती है।
इसी सत्र के दूसरे भाग में बोलते हुए बाहुबली के लेखक तथा सुप्रसिद्ध गीतकार मनोज मुंतशिर में कहा कि कुछ लिखने के लिए सबसे पहले खूब सारा पढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि लिखना नहीं बल्कि समझ के आईने में लिखना ज्यादा जरूरी होता है। हमारे चारों ओर हवाओं में गीत बिखरे हैं उन्हें रीक्रिएट करना एक कवि का काम होता है। उन्होंने कहा कि क्योंकि आज का युग डिमांड और सप्लाई का युग है इसलिए गीतों का स्तर थोड़ा घटा है लेकिन आज भी भाव और साहित्य जिंदा हैं। इसके पहले उन्होंने अपने जीवन के तमाम रोचक पहलुओं पर चर्चा करके उपस्थित जनमानस खासतौर पर युवाओं के मन को खूब छुआ।
इस सत्र का मॉडरेशन मानवेंद्र त्रिपाठी कथा डॉ.रजनीकांत श्रीवास्तव ने किया।
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