गोरखपुर। योगी आदित्यनाथ द्वारा छोड़ी गई गोरखपुर संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने के मामले में कांग्रेस ने बाजी मारी ली है। कांग्रेस ने प्रत्याशी तय कर लिए वहीं अभी तक बीजेपी और सपा उहापोह में हैं। सपा तो छोटे दलों से गठजोड़ कर प्रत्याशी तय करने के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी के इंतजार में है।
विपक्षी एकता को दरकिनार कर गोरखपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी उतार दिए है। कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ.सुरहिता करीम को प्रत्याशी बनाया है। डाॅ.सुरहिता कांग्रेस से लंबे समय से जुड़ी हैं। वर्तमान में वह कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता हैं।
डाॅ.सुरहिता करीम 2012 में मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। 83 हजार से अधिक मत पाकर सुरहिता चुनाव जीत नहीं सकी थी। गाॅयनो स्पेशलिस्ट डाॅ.सुरहिता के 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा थी। लेकिन उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था।
सामाजिक कार्याें में काफी रूचि रखने वाले करीम दंपत्ति गोरखपुर में काफी लोकप्रिय नाम है। 2010 में दंपत्ति ने फिल्म निर्माण कर गोरखपुर को फिल्म जगत में भी प्रसिद्धि दिलायी थी।
हालांकि, राजनैतिक पंड़ितों की अगर मानें तो डाॅ.सुरहिता करीम के प्रत्याशी बनने के बाद विपक्षी एकता को तगड़ा झटका लगा है। विपक्षी एकता को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनके चुनाव मैदान में आने से मुस्लिम मतों में भी काफी बिखराव दिखने को मिल सकता है। शहर में बंगाली समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या है। राजनैतिक व विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में बंगाली समाज बढ़चढ़कर हिस्सा लेता रहा है। इस समाज का राजनैतिक प्रभाव भी खासा रहा है। डाॅ.सुरहिता का बंगाली समुदाय के वोटरों पर भी अच्छा खासा प्रभाव है।
गौरतलब है कि शहर में बंगाली समाज का वोटर पचास हजार से अधिक है। जबकि गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पौने दो लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं।
बहरहाल, चुनावी दुदुंभी बज चुकी है। राजनीति में रणनीतिक बिसात सभी बिछाने में जुटे हैं।