गोरखपुर के राजघाट थाने में चार जून 2018 को एक महिला ने रेप का आरोप लगाते हुए जुम्मन नामक एक व्यक्ति व उसके साथी के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी। जांच के दौरान परवेज परवाज का भी नाम इसमें जोड़ दिया गया।
परवेज परवाज ने बताया कि महिला ने अपने 161 व 164 के बयान में उनका नाम नहीं लिया लेकिन फिर भी न जाने किस दबाव में उनका नाम शामिल हो गया।
पत्रिका से मंगलवार को दिन में बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि मामले की विवेचना के बाद पाया गया कि केस साजिशन कराया गया है और इसमें अंतिम रिपोर्ट भी लगा दी गई। वह बताते हैं कि केस रफादफा होने के बाद कुछ लोगों ने महिला को मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय भेज दिया। उसने वहां पर तथ्यों को छुपाकर केवल उनका नाम लेकर प्रार्थना पत्र दिया। वहाँ से इस मामले की फ़ाइल फिर खोलने का आदेश हुआ। जबकि पूर्व की जांच में स्पष्ट है कि इस मामले में उनको साजिश के तहत फंसाया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि मामले की जांच फिर शुरू हुई और किसी रसूखवाले के दबाव में उनपर दबाव बनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि पुलिस के लोग अब लगातार उनको जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। इन लोगों द्वारा यह दबाव बनाया जा रहा है कि गोरखपुर दंगे की पैरवी छोड़ दें अन्यथा जेल के लिए तैयार रहे। परवेज बताते हैं कि उन्होंने केस वापस लेने से मना कर दिया है।
परवेज परवाज ने बताया कि महिला ने अपने 161 व 164 के बयान में उनका नाम नहीं लिया लेकिन फिर भी न जाने किस दबाव में उनका नाम शामिल हो गया।
पत्रिका से मंगलवार को दिन में बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि मामले की विवेचना के बाद पाया गया कि केस साजिशन कराया गया है और इसमें अंतिम रिपोर्ट भी लगा दी गई। वह बताते हैं कि केस रफादफा होने के बाद कुछ लोगों ने महिला को मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय भेज दिया। उसने वहां पर तथ्यों को छुपाकर केवल उनका नाम लेकर प्रार्थना पत्र दिया। वहाँ से इस मामले की फ़ाइल फिर खोलने का आदेश हुआ। जबकि पूर्व की जांच में स्पष्ट है कि इस मामले में उनको साजिश के तहत फंसाया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि मामले की जांच फिर शुरू हुई और किसी रसूखवाले के दबाव में उनपर दबाव बनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि पुलिस के लोग अब लगातार उनको जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। इन लोगों द्वारा यह दबाव बनाया जा रहा है कि गोरखपुर दंगे की पैरवी छोड़ दें अन्यथा जेल के लिए तैयार रहे। परवेज बताते हैं कि उन्होंने केस वापस लेने से मना कर दिया है।
गोरखपुर दंगा के बाद किया था वाद दायर
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ, तत्कालीन पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दायर की थी।
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ, तत्कालीन पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दायर की थी।