गोरखपुर

मुख्यमंत्री योगी, केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल समेत एक दर्जन माननीयों को राहत !

गोरखपुर दंगे की डीवीडी मामले में होगा केस दर्ज

गोरखपुरDec 14, 2018 / 11:22 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर दंगों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, नगर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल समेत 12 लोगों को आरोपी बनाए जाने की लड़ाई लड़ने वाले परवेज परवाज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पूर्व एमएलसी डाॅ.वाईडी सिंह की याचिका पर सबूत वाली डीवीडी से छेड़छाड़ करने के मामले में परवेज परवाज पर केस दर्ज करने का आदेश हो गया है। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया है कि परवेज परवाज ने जो डीवीडी बनवाई थी, वह लैबटेस्ट में फर्जी निकली है।
पूर्व एमएलसी डाॅ.वाईडी सिंह की ओर से एसीजेएम प्रथम नुसरत खान की कोर्ट में दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ताने बताया कि 2007 में गोरखपुर दंगे में परवेज परवाज ने याचिका दायर कर तत्कालीन सांसद व वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 12 लोगों पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया था। उन्होंने कोर्ट में सबूत के तौर पर डीवीडी भी उपलब्ध कराई थी। इस मामले में केस दर्ज कर विवेचना शुरू हुई। विवेचना के दौरान डीवीडी की लैब टेस्ट कराई गई तो उसमें फर्जीवाड़ा सामने आया था। लैब रिपोर्ट के अनुसार उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी।
ये लोग बनाए गए थे आरोपी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, नगर विधायक डाॅ.राधामोहन दास अग्रवाल, पूर्व एमएमलसी डाॅ.वाईडी सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चैधरी आदि।
यह केस दर्ज हुआ था

आगजनी, हत्या, हत्या के प्रयास, षड़यंत्र करके विद्वेष पैदा करना, लोकसंपत्ति निवारण एक्ट, रेलवे एक्ट आदि।


सुप्रीम कोर्ट पूछ चुका है कि क्यों यूपी सीएम पर केस न चले
गोरखपुर दंगे में एक दर्जन माननीयों पर एफआईआर दर्ज कराया गया था। इन पर आरोप था कि ये लोग दंगों को भड़काने का काम किया। इनके खिलाफ केस चलाए जाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वर्तमान केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर व वर्तमान उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दायर की थी। इस याचिका में गोरखपुर दंगों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका की फिर से जांच कराए जाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। करीब 11 साल पहले गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में राज्य सरकार ने पहले आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। बाद में मामले की सीआईडी क्राइम ब्रांच से जांच हुई और फिर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। लेकिन याचिका कर्ताओं का आरोप था कि बिना किसी जांच और कार्रवाई के ही सरकार ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार की और उस पर सुनवाई की। फिर 22 फरवरी 2018 को अपना फैसला सुना दिया।
हाईकोर्ट के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बीते 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा था कि योगी आदित्यनाथ पर 2007 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में क्यों मुकदमा न चले।
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