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गोरखपुर दंगा 2007: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे परवेज

locationगोरखपुरPublished: Feb 23, 2018 03:59:51 pm

गोरखपुर दंगा पीड़ितों की लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई हैः परवेज परवाज

parvej parvaj
गोरखपुर। यह डेमोक्रेसी के तहफ्फुज (रक्षा) की लड़ाई है। यह रुल आॅफ लाॅ कायम करने की लड़ाई है। मजलूमों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई है। जिस घटना का गवाह पूरा गोरखपुर मंडल है उस घटना में इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी। हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।
ये बातें परवेज परवाज ने कही। गोरखपुर दंगे में योगी आदित्यनाथ समेत अन्य लोगों के खिलाफ केस चलाने और दंगा पीड़ितों की लड़ाई लड़ते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले परवेज परवाज ने कहा कि वह अभी हार नहीं माने हैं।
गोरखपुर दंगे में आरोपी बनाकर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस चलाने की मांग संबंधी याचिका खारिज होने के बाद याची परवेज परवाज ने कहा कि अभी हम हाईकोर्ट का आर्डर पढ़ रहे है। हाईकोर्ट ने क्या कहा है उसकी मंशा क्या है। अभी पूरी तरह समझ नहीं पाये है लेकिन हम इतना जरूर समझ गए है कि हमारी याचिका खारिज हो गई है यानी हमारे सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खुल गया है।
उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे पर हम लड़ रहे है वह सच है। हम सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ेगे और जरूरत पड़ी तो लोकतांत्रिक तरीके से सड़कों भी पर लड़ेंगे।
यह है पूरा मामला
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चैधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी पर केस चलाने की याचिका खारिज की

गोरखपुर में साल 2007 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के मामले में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस चलाने संबंधी याचिका को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। इस याचिका में गोरखपुर दंगों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका की फिर से जांच कराए जाने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। करीब 11 साल पहले गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में राज्य सरकार ने पहले आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। बाद में मामले की सीआईडी क्राइम ब्रांच से जांच हुई और फिर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। लेकिन याचिका कर्ताओं का आरोप है कि बिना किसी जांच और कार्रवाई के ही सरकार ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार की और उस पर सुनवाई की।

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