गोरखपुर

गोरखपुर को मिला बड़ा सम्मान, मुख्यमंत्री योगी की खुशी का नहीं रहा ठिकाना

ऐतिहासिक सफलता पर सीएम ने सबको दी बधाई गोरखपुर में बनने वाली टेराकोटा को मिला जीआई टैगअब पूर्वांचल के 13 उत्पाद को जीआई दर्जा

गोरखपुरMay 04, 2020 / 10:05 am

Mahendra Pratap

गोरखपुर को मिला बड़ा सम्मान, मुख्यमंत्री योगी की खुशी का नहीं रहा ठिकाना

गोरखपुर. ज़िले को विशिष्ट पहचान दिलाने वाली ‘टेराकोटा कारीगरी’ को ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ का दर्जा प्राप्त हुआ है। जिसके बाद सैकड़ों साल पुराने विश्व की इस प्रसिद्ध हस्तशिल्प कारीगरी को कानूनी रूप से नई पहचान मिल गई है। जीआई यानी भौगोलिक संकेतक पंजीकरण की लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए इस क्राफ्ट ने यह दर्जा हासिल किया जो जीआई पंजीकरण संख्या 619 के साथ क्लास 21 के अन्तर्गत पंजीकृत है। इसके साथ ही यह देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए बधाई दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे इस अनूठे उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होगी।
तकरीबन दो साल पहले नाबार्ड यूपी ने गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में विशाल प्रदर्शनी और क्रेडिट कैंप आयोजित किया गया था। जिसमे टेराकोटा क्राफ्ट के साथ ही पूर्वांचल के सभी जीआई पंजीकृत उत्पादों को भी स्टॉल मिला था। टेराकोटा कारीगरी को जीआई के लिए वर्ष 2018 में नाबार्ड के सहयोग से और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के दिशा निर्देश में लक्ष्मी टेराकोटा मूर्ति कला केंद्र औरंगाबाद गुलरिया गोरखपुर के आवेदन के साथ शुरूआत की गई। जिसके बाद इसे चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री में दाखिल कराया गया। लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरते हुए अब जिले को सफलता मिली है।
क्या होता है पंजीकरण :- किसी भी कारीगरी, तकनीकी या काम को उसे बनाने या करने वाले को पहचान मिल जाती है। जैसे टेराकोटा कारीगरी की बात करें तो इसे कारीगरी पर जिले का अधिकार हुआ है। सामान्यतया जैसे अन्य पंजीकरण में ट्रेड मार्क कॉपीराइट पेटेंट उठा डिजाइन आदि पर लोगो का अपना अधिकार होता है वैसे ही बौद्धिक सम्पदा अधिकार का दर्जा मिलना इस कारीगरी के लिए अहम है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जीआई पंजीकृत उत्पाद किसी व्यक्ति या संस्था का नहीं बल्कि इससे जुड़े सभी उत्पादकोंं, निर्यातकों का अधिकार होता है।
गोरखपुर को मिला बड़ा सम्मान, मुख्यमंत्री योगी की खुशी का नहीं रहा ठिकाना
जानिए इस कारीगरी का अतीत :- टेराकोटा या मिटटी की कला, एक ऐसी कृति है जो कि मिटटी से बनी तथा पकाने पर चमक रहित होती है व सामान्यत: लाल रंग की होती है। गोरखपुर की कृतियां सदियों के ज्ञान व परम्परा से सिचिंत पारम्परिक कला का एक अनूठा उदाहरण है। इस कला में घोड़े, हाथी, ऊंट महावत के हौदे सहित, हाथी की कृतिया, गणेष व बुद्ध की प्रतिमाओं, घोड़ा गाड़ी ऊंट गाड़ी, लैम्प शेड, झूमर अत्यादि के लिए प्रसिद्ध है। यहा की कारीगरी विशेष रूप से से हस्तकला पर आधारित है तथा इसमें प्राकृतिक रंग का ही प्रयोग होता है, जिसका सायित्व भी अधिक है। स्थानीय कलाकारों के 1000 विभिन्न प्रकार की टेराकोटा की कृतियां तैयार की गयी है। ये मिटटी के कारीगर सामान्यत: प्रजापति समुदाय से है
अब पूर्वांचल के 13 उत्पाद को जीआई दर्जा :- गोरखपुर के इस क्राफ्ट के साथ ही अब पूर्वांचल के कुल 13 उत्पादों को जीआई का दर्जा हासिल हो गया है। इनमें काला नमक चावल, बनारसी साड़ी, मेटल क्राफ्ट, गुलाबी मीनाकारी, स्टोन शिल्प, चुनार बलुआ पत्थर, ग्लास बीड्स, भदोही कालीन, मिर्ज़ापुर दरी, गाजीपुर वाल हैंगिंग, निज़ामाबाद आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी और इलाहाबाद का अमरूद शामिल है।

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