ये था पूरा मामला Gorakhpur Medical College में ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप होने से 24 घंटे में 30 मासूमों की मौत हो गई। यह हाल तब का है जब दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेडिकल कालेज का हाल देखकर गए हैं। मेडिकल काॅलेज द्वारा ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली फर्म को बकाया 69 लाख रुपया अदा नहीं करने पर फर्म ने आपूर्ति ठक कर दी, जिससे 33 मासूम बच्चों की मौत हो गई।
बृहस्पतिवार से शुरू हुआ संकट ऑक्सीजन सप्लाई का संकट बृहस्पतिवार से शुरू हुआ, जब लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गैस खत्म हो गई। बृहस्पतिवार को दिन भर 90 जंबो सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई हुई। रात करीब एक बजे यह खेप भी खत्म हो गई, जिसके बाद अस्पताल में हाहाकार मच गया। साढ़े तीन बजे 50 सिलेंडर लगाए गए। यह सुबह साढ़े सात बजे तक चला। फिर एम्बुबैग के सहारे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई। तीमारदारों के थक जाते ही डॉक्टर म्बुबैग से ऑक्सीजन देते रहे।
पैसा न देने से बढ़ता गया बकाया बीआरडी में दो वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया। इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड समेत 300 मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। इसकी सप्लाई पुष्पा सेल्स करती है। कंपनी के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने प्राचार्य को पत्र लिखकर बताया है कि काॅलेज पर 68 लाख 58 हजार 596 रुपये का बकाया हो गया है। बकाया रकम की अधिकतम तय राशि 10 लाख रुपये है। बकाया की रकम तय सीमा से अधिक होने के कारण देहरादून के आईनॉक्स कंपनी की एलएमओ गैस प्लांट ने गैस सप्लाई देने से इनकार कर दिया है।
ये भी पढ़ें- गोरखपुर में बच्चों की मौत पर मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का बयान, आॅक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत 30 बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई सप्लाई बृहस्पतिवार की शाम से ही बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया था। एक-एक कर बच्चों की हो रही मौत से परेशान डॉक्टरों ने पुष्पा सेल्स के अधिकारियों को फोन कर मनुहार की। उधर काॅलेज प्रशासन ने 22 लाख रुपये बकाया के भुगतान की कवायद शुरू की। जिसके बाद पुष्पा सेल्स के अधिकारियों ने लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर को भेजने का फैसला किया। हालांकि यह टैंकर भी शनिवार की शाम या रविवार तक ही पहुंच पाएगा।
ये भी पढ़ें- बीआरडी मेडिकल काॅलेज मौत प्रकरणः इन मौतों का असली गुनहगार कौन पहले भी फर्म ठप कर चुकी है आपूर्ति बीते वर्ष अप्रैल में भी फर्म का बकाया करीब 50 लाख रुपये हो गया था। तभी भुगतान न होने पर फर्म ने आपूर्ति ठप कर दी थी। फर्म ने कई बार बकाया भुगतान के लिए पत्र लिखा। आरोप है कि भुगतान न मिलने पर फर्म ने आपूर्ति ठप कर दिया था, इसके बाद जमकर हंगामा हुआ था।
ये भी पढ़ें- मासूमों की मौत में प्रशासन की लापरवाही, आॅक्सीजन न देने को दस दिन पहले ही पुष्पा कम्पनी ने दी थी चेतावनी प्रशासन ने नजर फेरी, एसएसबी ने की मदद BRD Medical College में ऑक्सीजन के संकट ने पूरे अस्पताल प्रशासन को घुटनों के बल ला दिया। डॉक्टरों ने प्रशासनिक अधिकारियों को संकट की जानकारी दी, मदद भी मांगी, मगर जिले के आला अधिकारी बेपरवाह रहे। ऐसे में मदद को आगे आया एसएसबी व कुछ प्राइवेट अस्पताल। सशस्त्र सीमा बल के अस्पताल से बीआरडी को 10 जंबो सिलेंडर मिले। ऑक्सीजन खत्म होने की खबर कर्मचारियों ने रात दो बजे ही वार्ड 100 बेड के प्रभारी डॉ. कफील खान को दी। वह तड़के तीन बजे से ही वार्ड में जमे रहे। इसके बाद से ही वह ऑक्सीजन सिलेंडरों के इंतजाम में लगे रहे। सुबह सात बजे तक जब किसी बड़े अधिकारी व गैस सप्लायर ने फोन नहीं उठाया तो डॉ. कफील ने डॉक्टर दोस्तों से मदद मांगी। अपनी गाड़ी से करीब एक दर्जन सिलेंडरों को ढुलवाया।
ये भी पढ़ें- उधार के आॅस्कीजन पर चलती है मरीजों की सांस एसएसबी ने दिए 10 सिलेंडर मासूमों को तड़पता देखकर डॉ. कफील ने एसएसबी से मदद मांगने का फैसला किया। वह एक कर्मचारी को लेकर बाईक से एसएसबी के डीआईजी के पास गए। डीआईजी एसएसबी ने तत्काल 10 ऑक्सीजन सिलेंडर दिया। इतना ही नहीं एक ट्रक भी भेजा जिससे कि काॅलेज प्रशासन दूसरी जगहों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगा सके।
ये भी पढ़ें- पांच दिनों में चली गयी 60 बच्चों की जान, व्यवस्था की नाकामी छिपाने में जुटा रहा काॅलेज प्रशासन प्रशासनिक अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान जब हालात बिगड़ने लगी तो कमिश्नर और जिलाधिकारी को Gorakhpur Medical College ने जानकारी दी, लेकिन जैसा कि बताया जा रहा है अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बताया जा रहा है कि यदि ये अफसर ध्यान दे दिए होते तो ऐसे हालात न होते, क्योंकि प्रशासनिक अफसरों की स्थित डॉक्टरों से अलग होती है और उन की बात भी सुनी जाती है। हालांकि घटना के बाद डीएम राजीव रौतेला ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है।
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नियोनेटल यूनिट- इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड- 14
मेडिसिन आईसीयू- एपीडेमिक मेडिसिन वार्ड- 12
बालरोग वार्ड- 6
वार्ड नंबर 2
एनेस्थिसिया आईसीयू लेबर रूम, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी ओटी
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