अध्यक्षीय संबोधन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जहां मौलिक खोज होता है वही दुनिया को राह दिखाते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय इस राह पर चलें। राज्य के सभी विश्वविद्यालय सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति वाले अनुसंधान करें।
उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जमीन पर नही बल्कि बेलों की तरह पेड़ों पर लटक रही है। सबकी जवाबदेही एक निश्चित समय पर तय होनी चाहिए। परिसर में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है लेकिन गुणवत्ता में पीछे हैं। जिस विश्वविद्यालय में ज्यादा रिसर्च होते हैं वो आगे होता है। जो देश ऊर्जा के परंपरागत स्रोत छोड़, नए स्रोत खोजेंगे वो नई महाशक्ति होंगे। हमने दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में स्थापित किया था।
उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जमीन पर नही बल्कि बेलों की तरह पेड़ों पर लटक रही है। सबकी जवाबदेही एक निश्चित समय पर तय होनी चाहिए। परिसर में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है लेकिन गुणवत्ता में पीछे हैं। जिस विश्वविद्यालय में ज्यादा रिसर्च होते हैं वो आगे होता है। जो देश ऊर्जा के परंपरागत स्रोत छोड़, नए स्रोत खोजेंगे वो नई महाशक्ति होंगे। हमने दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में स्थापित किया था।
दहेज प्रथा पर किया प्रहार, लिया वादा दीक्षांत में पहुंची राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने भाषण में दहेज प्रथा पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि मेधावी छात्र यहां गोल्ड पा रहे हैं। इसलिए अब शादी में गोल्ड मत मांगना। अपनी मेहनत पर जो यहां हासिल कर रहे हो उससे आगे बढ़ों, शादी में दहेज के रूप में गोल्ड, रुपया या कोई अन्य सामान मत मांगो। यही सबसे बड़ी दीक्षा होगी।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत में लड़कियों को अधिक गोल्ड मिलने पर कहा कि यहां मेडल पाने वालों में अधिकतर लड़कियां हैं। यह हाल प्रत्येक विश्वविद्यालयों का है। यह असंतुलन नहीं होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं देश की आगे बढ़ रही हैं, यह बेहद सुखद बात है। पढ़ी लिखी बेटियां तो आगे बढ़ ही रहीं हैं अनपढ़ महिलाएं भी तरक्की की राह पर हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाएं अगर देश के विकास में नहीं जुड़ती है तो उस देश का विकास नहीं हो सकता है। अनपढ़ महिलाएं स्वावलंबी बनकर 10 से 15 हजार रुपये महीना कमा रही हैं। ऐसी महिलाओं के विचारों में जो परिवर्तन आया है उससे मैं खुश हूं। राज्यपाल ने बताया कि कि वे कहती है कि वे नहीं पढ़ पाए, लेकिन बेटे-बेटियों को पढ़ा रही हैं ताकि वह उनकी तरह अनपढ़ न रह जाएं।
प्लास्टिक तजने व शिक्षकों को एक एक गांव गोद लेने का आह्वान राज्यपाल ने अपने संबोधन में कुप्रथाओं, पर्यावरण, ग्रामीण विकास पर खूब चर्चा की। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्लास्टिक का प्रयोग हम सबको पूरी तरह बंद करना चाहिए। कैंपस में पाबंदी लगे साथ ही हम सबको अपने अपने घरों पर भी प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए। इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि सबको जागरूक करें।
साथ ही राज्यपाल ने सभी शिक्षकों को एक एक गांव गोद लेने का आह्वान किया। कहा कि चार-पांच महीना तक हर शिक्षक अपने गोद लिए गांव में काम करे।
साथ ही राज्यपाल ने सभी शिक्षकों को एक एक गांव गोद लेने का आह्वान किया। कहा कि चार-पांच महीना तक हर शिक्षक अपने गोद लिए गांव में काम करे।
प्राइमरी स्कूल के बच्चों का लक्ष्य भी तय होगा दीक्षांत देख दीक्षांत में आए प्राइमरी स्कूल बूढ़ाडीह-1 के बच्चों से मिलने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ये बच्चे नजदीक से दीक्षांत को देखें और समझें हैं कि यहां क्या हो रहा है। ये भी इस समारोह को देखकर अपना लक्ष्य तय किए होंगे। उन्होंने कहा कि हमारा योगदान भारत के निर्माण में सहायता करने का होना चाहिए। यहां से निकलने के बाद अधिक से अधिक हम देश के निर्माण में सहायक कैसे बन सकते हैं यह लक्ष्य तय कर लीजिए वहीं असली पदक होगा।