उन्होंने बताया कि यहां के युवाओं का जोश देखकर मुझे एहसास हो गया है कि अगर इन्हें सही वक्त पर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो ये पूरी दुनिया में यूपी का झंडा बुलंद कर सकते हैं। इसलिए अब जल्द से जल्द गोरखपुर में भी रेसलिंग एकेडमी शुरू की जाएगी। ताकि उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार के भी पहलवानों को बेहतर ट्रेनिंग मिल सके।
गोरखपुर में मिले प्यार का दूंगा रिटर्निंग गिफ्ट
खली ने कहा कि मैं पहली बार गोरखपुर आया। मुझे लगा था यूपी का पिछड़ा इलाका होने की वजह से यहां के लोग WWE के बारे में ज्यादा नहीं जानते होंगे। लेकिन एयरपोर्ट से बाहर आते ही यहां के लोगों ने मुझे प्यार दिया। ऐसे में अब मेरी बारी है कि मैं भी इसके एवज में इस शहर को कुछ दे दूं। इसलिए मैंने पंजाब के बाद दूसरी एकेडमी गोरखपुर में शुरू करने का निर्णय लिया है।
'द ग्रेट खली' को जानिए
हिमाचल के एक छोटे से गांव धिराना में 27 अगस्त 1972 को राजपूत परिवार में पिता ज्वाला रमा और मां तांडी देवी के यहां दलीप सिंह राणा उर्फ खली का जन्म हुआ। अपने सात भाई-बहनों में से खली का शरीर और कद-काठी सबसे अलग और भारी-भरकम था।
खली का परिवार एक गरीब किसान परिवार था। पेट भरने के लिए भी रोजी रोटी का इंतजाम करना मुश्किल होता था। इसलिए खली ने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की। बचपन से ही काम की तलाश में लग गए।
जो काम सामान्य लोग नहीं कर पाते थे। वहीं काम खली को दिए जाते थे। हालांकि ये खली के लिए बाएं हाथ का खेल होता था। खली ने लगातार कई साल मजदूरी की। लेकिन जो भी पैसे मजदूरी से मिलते थे। वो पर एक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं होते थे, क्योंकि खली की डाइट ही आम लोगों से कई गुना ज्यादा होती थी। कुछ दिनों बाद खली ने मजदूरी करने के लिए शिमला का रुख किया।
अचानक खली की किस्मत उस समय चमक गई जब पंजाब के एक पुलिस अफसर शिमला आए हुए थे। उनकी नजर खली पर पड़ी। खली को अफसर ने पंजाब आकर पुलिस की नौकरी करने का ऑफर दिया। क्योंकि खली के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह पंजाब जा सकें। इसलिए उस पुलिस अफसर ने खली को खुद पैसे देकर पंजाब बुलाया। खली ने भी पंजाब जाकर पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली। खली के भाई को भी पुलिस की नौकरी मिल गई।