गोरखपुर

यहां सीएम से लेकर मंत्री तक पर है दंगे का दाग!

 
गोरखपुर दंगा और महराजगंज सांप्रदायिक बवाल का मामला

गोरखपुरSep 25, 2018 / 04:13 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

योगी सरकार में पड़ने लगी फूट, मोर्चा संभालने के लिए ‘ये’ दो मंत्री आए आगे!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल, गोरखपुर शहर विधायक डाॅ.राधामोहन दास अग्रवाल और यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष पूर्व मेयर अंजू चैधरी के खिलाफ गोरखपुर दंगे में एफआईआर दर्ज कराया गया था। इन पर आरोप था कि ये लोग दंगों को भड़काने का काम किया।
आज की तारीख में इनके खिलाफ केस चलाए जाने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। कोर्ट ने बीते अगस्त में इस केस में राज्य सरकार से जबाव तलब किया था। हालांकि, सरकार ने जवाब दायर नहीं किया है।
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इस मामले में दर्ज एफआईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वर्तमान केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर व वर्तमान उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग अंजू चैधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दायर की थी। इस याचिका में गोरखपुर दंगों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका की फिर से जांच कराए जाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। करीब 11 साल पहले गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में राज्य सरकार ने पहले आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। बाद में मामले की सीआईडी क्राइम ब्रांच से जांच हुई और फिर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। लेकिन याचिका कर्ताओं का आरोप था कि बिना किसी जांच और कार्रवाई के ही सरकार ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार की और उस पर सुनवाई की। फिर 22 फरवरी 2018 को अपना फैसला सुना दिया।
हाईकोर्ट के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बीते 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है कि योगी आदित्यनाथ पर 2007 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में क्यों मुकदमा न चले।

योगी आदित्यनाथ के खिलाफ महिला नेता तलत अजीज भी लड़ रही

महराजगंज के पचरूखिया क्षेत्र के भिटौली कस्बे में 1999 में हुए सांप्रदायिक बवाल में तत्कालीन सपा नेता तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की गोली लगने से मौत हो गई थी। मामला 10 फरवरी 1999 का है। भिटौली की एक जमीन को लेकर दो सम्प्रदाय के लोगों के बीच बवाल हुआ था। एक वर्ग विवादित जमीन को कब्रिस्तान बता रहा था तो दूसरा वर्ग तालाब। मामला बिगड़ा, दोनों पक्षों में फायरिंग व पथराव हुआ। इस विवाद में तत्कालीन सपा नेता तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की गोली लगने से मौत हो गई। कई लोग जख्मी हुए थे। इस मामले में महराजगंज कोतवाली में तीन एफआईआर दर्ज हुए। तलत अजीज के एफआईआर में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के साथ कई लोग नामजद कराए गए। पुलिस ने भी अपनी एफआईआर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस दर्ज किया था। योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तलत अजीज और उनके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। योगी आदित्यनाथ की तहरीर में कहा गया था कि तलत अजीज ने उनकी हत्या के इरादे से फायरिंग कराई थी। घटना के वक्त यूपी में कल्याण सिंह सरकार थी। मामला तूल पकड़ा तो सीएम कल्याण सिंह ने तीनों केस मुकदमों की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। करीब एक साल बाद सीबीसीआईडी ने 27 जून साल 2000 को तीनों मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। सीबीसीआईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हजारों की भीड़ के बीच फायरिंग करने वाले की पहचान नहीं हो सकी। ऐसे में किसी को आरोपी बनाया जाना न्यायसंगत नहीं है। निचली अदालत ने तीनों मुकदमों में लगी फाइनल रिपोर्ट को मंजूर कर लिया। तलत अजीज ने फाइनल रिपोर्ट को 2006 में महराजगंज की सीजेएम कोर्ट में चुनौती दी। यहां करीब बारह साल तक केस चला। फिर सीजेएम ने तलत अजीज की अर्जी को खारिज कर दी। इसके बाद तलत अजीज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट में केस विचाराधीन है।
 
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