गोरखपुर

बुद्ध पीजी कॉलेज प्रबंध समिति के फैसले को हाईकोर्ट ने रोका, डॉ. केपी सिंह बने रहेंगे कार्यवाहक प्राचार्य

कुशीनगर के बुद्ध पीजी कॉलेज प्रबंधन को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, प्रबंधन के फैसले पर लगाई रोक।

गोरखपुरOct 12, 2017 / 05:23 pm

रफतउद्दीन फरीद

बुद्धा पीजी कॉलेज

गोरखपुर. कार्यवाहक प्राचार्य प्रकरण के एक और मामले के न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए हस्तक्षेप किया है। उच्च न्यायालय में कुशीनगर के बुद्ध पीजी कॉलेज में शिक्षक डॉ.अमृतांशु शुक्ला को प्राचार्य नियुक्त किये जाने के प्रबंधन के फैसले पर रोक लगा दी है। यह सुनवाई निवर्तमान प्राचार्य डॉ.केपी सिंह की याचिका पर की गई है। न्यायालय ने प्रबंध समिति के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस दी है।

बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर में विज्ञापन संख्या 39 के प्राचार्य डॉ. एनपी राय का चयन निरस्त होने के बाद प्रबंध समिति ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए वरिष्ठ शिक्षक आरपी यादव को जुलाई 2016 में कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया था। श्री यादव पीएचडी नहीं थे। कुछ और अर्हता पूरी नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठता क्रम में दूसरे नम्बर के शिक्षक डॉ.केपी सिंह ने कुलपति डीडीयू के पास प्रतिवेदन दिया।
 

तत्कालीन कुलपति प्रो.अशोक कुमार ने दोनों पक्षों को सुना। सुनने के बाद कुलपति ने आरपी यादव को ही कार्यवाहक प्राचार्य के लिये योग्य मानकर उनके पक्ष में निर्णय दिया। लेकिन कॉलेज के आतंरिक खींचतान की वजह से जुलाई 2017 में आरपी यादव ने कार्यवाहक प्राचार्य पद से इस्तीफा दे दिया। श्री यादव के इस्तीफे के बाद प्रबंधन ने वरिष्ठता क्रम में दूसरे नम्बर के शिक्षक डॉ.केपी सिंह को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया।
 

लेकिन इसी दौरान कॉलेज में फिर आतंरिक खींचतान शुरू हो गई। किन्हीं वजहों से प्रबंधन ने खुद नियुक्त किये गए प्राचार्य को हटाने का मन बना लिया। फिर एपीआई के आधार पर कार्यवाहक पर कार्यवाहक प्राचार्य के लिए सूचना निकाल दिया गया। आरोप है कि 7 अक्टूबर 2017 को एपीआई के आधार पर वरिष्ठता क्रम 10 पर मनोविज्ञान विषय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अमृतांशु शुक्ल को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया। बताया जा रहा कि इस नियुक्ति में सत्ता पक्ष के एक माननीय का भी काफी योगदान रहा।

उधर, प्रबन्ध समिति के इस निर्णय के खिलाफ निवर्तमान कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. केपी सिंह ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में 10 अक्टूबर 2017 को Writ A 48085 दाखिल की। जिस पर 12 अक्टूबर 2017 को कोर्ट नम्बर 3 में बहस हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रबन्ध समिति के निर्णय पर रोक लगा दी और सभी पक्षकारों को नोटिस इशू कर दिया।
by DHEERENDRA VIKRAMADITYA GOPAL

 

 

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