Corruption in Teachers appointment in UP
डीडीयू (DDU) के कार्यपरिषद सदस्य व पूर्व कुलपति प्रो.रामअचल सिंह ने लगाया आरोप
नियुक्ति में आरक्षण (Reservation)व तय मानकों को दरकिनार कर नियुक्ति का खेल
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (Uttar Pradesh higher education service commission) के अध्यक्ष रह चुके हैं प्रो.सिंह
डीडीयू में प्रोफेसर्स की बेटे-बेटियों को शिक्षक पदों पर नियुक्त किया गया
‘अंधा बांटे सिरनी, घर-घराना खाए।’ दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय(DeenDayal Upadhayay Gorakhpur University) में शिक्षक पदों पर हुई नियुक्तियों (Appointment on teacher posts)के मामले में इस कहावत को सटीक ढंग से समझा जा सकता है। विवि शिक्षक पदों पर हुई नियुक्तियों में सारे मानकों को दरकिनार कर शिक्षकों ने अपने बेटा-बेटियों और रिश्तेदारों की नियुक्तियां कर ली है(DDU appointed Proffessors kith and kins as Proffessor, Assistant Proffessor ans Associate Proffessor posts)। हद तो यह कि यहां तय आरक्षण का भी पालन नहीं किया गया है। निरंकुशता की इंतहा यह कि विवि कार्यपरिषद के सदस्य ने शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में लिखित रुप से आपत्ति दर्ज कराई लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर नियुक्तियों को हरी झंड़ी दे दी गई।
विवि में शिक्षक नियुक्तियों में धांधली के खिलाफ आवाज उठा रहे यूपी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम अचल सिंह ने शासनस्तर तक हर संबंधित जिम्मेदार को लिखित शिकायत की है लेकिन हर जगह चुप्पी है। अवध विवि के पूर्व कुलपति रह चुके प्रो.रामअचल सिंह गोरखपुर विवि के कार्यपरिषद के सदस्य हैं। यह वही कमेटी है जो विवि के हर महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगाती है। इस कमेटी के सदस्य प्रो.सिंह ने कार्यपरिषद बैठक के दौरान ही अपनी आपत्ति दर्ज कराई, बात नहीं माने जाने पर बीच बैठक भी छोड़ दिए थे लेकिन विवि ने मनमानी तरीके से नियुक्तियों को सही ठहराते हुए अपनी मुहर लगा दी।
नियुक्तियों में धांधली से संबंधित साक्ष्य सहित आपत्ति दर्ज कराने वाले पूर्व कुलपति प्रो.सिंह के अनुसार डीडीयू में हुई करीब डेढ़ सौ नियुक्तियों में व्यापक धांधली हुई है। कहीं भी मानक या आरक्षण का पालन नहीं किया गया है। प्रो.राम अचल सिंह ने आरोप लगाया है कि डीडीयू में शिक्षकों के पुत्र-पुत्रियों व रिश्तेदारों की नियुक्ति खूब हुई है। हिंदी विभाग में प्रत्यूष दुबे का चयन प्रोफेसर पद पर हुआ है। वह डीडीयू के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में सिद्धार्थ विवि के कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे के पुत्र हैं। इसी तरह प्रो.अनंत मिश्र के नाती अखिल मिश्र की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर, केमिस्ट्री में प्रो.जीएस शुक्ल के बेटे डॉ.निखिल कांत शुक्ला, प्रो.एमएल श्रीवास्तव के पुत्र डॉ.अखिलेश श्रीवास्तव, प्रो.जितेंद्र मिश्र की पुत्री डाॅ.लक्ष्मी मिश्रा, प्रो.केडीएस यादव के पुत्र डाॅ.कमलेश का चयन शिक्षक पदों पर नियमों को दरकिनार कर किया गया है।
प्रो.सिंह के अनुसार प्रोफेसर पद पर हुई एक नियुक्ति 61 साल के व्यक्ति की हुई है। अर्हता नहीं रखने के बावजूद अरविंद त्रिपाठी को नियुक्त कर दिया गया है। अगले साल ही यह रिटायर भी हो जाएंगे। प्रो. सिंह ने बताया कि नियुक्तियों में हुए खेल के खिलाफ उन्होंने विवि प्रशासन को लिखित अवगत कराया लेकिन सबकी मिलीभगत होने के नाते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। लगातार वह शासन व राजभवन से भी पत्राचार किए लेकिन जांच प्रक्रिया तक प्रारंभ नहीं की गई जबकि इस पूरे मामले में गहन जांच की आवश्यकता है।
उधर, इस मामले में विवि प्रशासन का दावा है कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी व नियमाकूल है। सारे आरोप निरर्थक हैं। प्रो.रामअचल सिंह की सारी आपत्तियों को बैठकों के कार्यवृत्त में शामिल कर समाधान का प्रयास किया गया है।