19 मार्च को गोरखपुर के सांसद व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सूबे का मुखिया होने के बाद नियमतः उनको छह महीने के भीतर विधान सभा या विधानपरिषद का सदस्य होना है। इसके साथ ही उनको लोकसभा सीट से भी इस्तीफा देना होगा।
चूंकि, राष्ट्रपति चुनाव बीजेपी के लिए काफी प्रतिष्ठपरक बना हुआ था इसलिए वह अपने मुख्यमंत्री से संसदीय सीट पर से इस्तीफा नहीं दिला रही थी। अभी 5 अगस्त को उपराष्ट्रपति का भी चुनाव है। इसके बाद योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देने के साथ जल्द से जल्द किसी सदन का सदस्य बनना होगा।
गोरखनाथ मंदिर का है राजनैतिक प्रभाव गोरखनाथ मंदिर पूर्वान्चल में आस्था का प्रमुख केंद्र है। राजनैतिक रूप से भी इस पीठ की बराबर सक्रियता रही है। पहले आम चुनाव के बाद से आज तक मंदिर का कोई न कोई उत्तराधिकारी सांसद या विधायक बनता आ रहा है। मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ सांसद व विधायक रह चुके हैं। यही नहीं मंदिर से आशीर्वाद प्राप्त कई नेता गोरखपुर व आसपास के ज़िलों की कई सीटों से विधायक चुने जा चुके हैं। मंदिर का ही समर्थन था कि चार बार के अजेय विधायक रहे पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ला को हिन्दू महासभा के प्रत्याशी डॉ.राधामोहन दास अग्रवाल ( अब बीजेपी विधायक) ने भारी अंतर से हराया था।
योगी चुनाव लड़कर ही जीताना चाहेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमेशा चुनाव लड़कर ही किसी सदन में पहुंचना चाहेंगे। हालांकि, एमएलसी का भी रास्ता खुला है। योगी आदित्यनाथ लोकप्रिय नेता हैं। गोरखपुर के विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव है। पांच बार के अजेय सांसद हैं। महंत अवेद्यनाथ द्वारा राजनैतिक सन्यास लेने के बाद वह पहली बार गोरखपुर के सांसद चुने गए थे। इसके बाद से लगातार वह सांसद बन रहे।
कई विधायक अपनी सीट छोड़ने को हैं तैयार योगी आदित्यनाथ लिए कई विधायक अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही आधा दर्जन एमएलए अपने इस्तीफ़े की पेशकश कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के सुपुत्र पूर्व मंत्री व कैम्पिरगंज के विधायक फ़तेहबहादुर सिंह, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह, पिपराइच के विधायक महेंद्र पाल सिंह, सहजनवां विधायक व योगी आदित्यनाथ के सांसद प्रतिनिधि शीतल पांडेय सहित गोरखपुर-बस्ती मण्डल के अलावा अयोध्या व इलाहाबाद के विधायक अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं।
संसदीय सीट छोड़ने पर कौन होगा योगी का उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद उनको संसदीय सीट छोड़नी है। गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकार वाली इस सीट पर कौन प्रत्याशी होगा इसको लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। अगर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के किसी विधानसभा सीट से लड़ेंगे तो संभव है जो विधायक सीट छोड़ेगा उसको संसदीय सीट का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। यह भी संभव है मुख्यमंत्री को 2019 को ध्यान में रख अयोध्या से लड़ाया जाए। इसके अलावा उनको विधान परिषद में भी भेजा जा सकता है।