गोरखपुर

गोरखपुर-बस्ती मंडल से ये बन सकते हैं मंत्री, इनको मिल सकता है प्रमोशन

 
मोदी 2.0 मंत्रीमंडल

गोरखपुरMay 27, 2019 / 12:02 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

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गोरखपुर और बस्ती मंडल की सभी नौ सीटों पर प्रचंड बहुमत से जीत हासिल होने के बाद अब यहां के जनप्रतिनिधियों के मंत्रीमंडल में शामिल होने की होड़ शुरू हो चुकी है। समर्थक अपने अपने सांसदों को मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। चैक-चैराहों पर भी मंत्री बनाए जाने को लेकर तर्क का दौर जारी है।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में नौ लोकसभा सीटें हैं। माना जा रहा है कि यहां से दो मंत्री बनाए जाएं। पार्टी सूत्रों की मानें तो राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ल एक बार फिर मंत्रीमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इस बार उनको प्रमोशन मिल जाए।
हालांकि, शिव प्रताप शुक्ला को मंत्री पद देवरिया के तत्कालीन सांसद कलराज मिश्र को हटाए जाने के बाद बनाया गया था। इस बार देवरिया संसदीय सीट से ही भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी चुनकर गए हैं। रमापति त्रिपाठी की गिनती यूपी के सीनियर लीडर्स में होती है। बीते चुनाव प्रचार के दौरान भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रमापति राम त्रिपाठी की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े थे। रमापति राम त्रिपाठी के समर्थक उनको मंत्री बनाए जाने को लेकर आश्वस्त हैं।
उधर, महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी भी इस बार मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। पंकज चौधरी छठीं बार सांसद चुने गए हैं। भाजपा के वह गिने चुने सांसदों में एक हैं जो डबल हैट्रिक लगाकर संसद पहुंचा हो।
एक दिन के अमान्य मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल भी तीसरी बार संसद पहुंचे हैं। उनको भी आस है कि पार्टी उनकी सीनियरिटी को देखते हुए जरूर कोई जिम्मेदारी सौंपेगी।
बस्ती से दुबारा सांसद चुने गए युवा सांसद हरीश द्विवेदी भी इस बार मंत्री बनाए जाने की लाइन में शामिल हैं। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हरीश की हाईकमान के सामने काफी बेहतर छवि है। उनके समर्थक भी सोशल मीडिया पर मंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर अभियान तक चलाना शुरू कर दिए हैं।
यही नहीं बीजेपी का सहयोगी निषाद दल भी एक मंत्रीपद चाहता है। निषाद दल चाहता है कि भाजपा के सिंबल पर जीते प्रवीण निषाद को मंत्री परिषद में जिम्मेदारी मिले।
बहरहाल, 30 मई की शाम को पीएम मोदी शपथ लेंगे। उनके साथ उनका मंत्रीमंडल भी शपथ लेगा। बीते कार्यकाल में एक दर्जन से अधिक मंत्री यूपी से थे। इस बार भी माना जा रहा है कि वह संख्या कायम रखी जाए। अगर पिछली बार की संख्या दोहरायी जाएगी तो गोरखपुर के हिस्से में भी एक या दो मंत्रीपद आ सकेगा। यह संख्या कम या अधिक भी हो तो इसमें आश्चर्य नहीं क्योंकि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ है और उनकी पसंदगी और नापसंदगी का भी हाईकमान ध्यान रख सकते हैं।

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