इस तरह बदलता है किसी भी शहर/जिले का नाम- – किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि कोई विधायक या एमएलसी इसके लिए सरकार से मांग करे। बिना किसी विधायक की मांग पर सरकार आगे कदम नहीं बढ़ाती।
– विधायक जब इस बाबत कोई मांग करता है तो सरकार इस संबंध में जनता क्या चाहती है यह भी जानने की कोशिश करती है। प्रशासन नाम बदलने के संबंध में पूरा डिटेल मांगती है। शहर के नाम का इतिहास खंगलवाती है।
-इसके बाद शहर/ जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाता है। कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद शहर के बदले नाम पर मुहर लग जाती है। – कैबिनेट में नाम बदलने का निर्णय पास होने के बाद फिर से नए नाम का गजट कराया जाता है।
– गजट कराने के बाद सरकारी दस्तावेजों से नए नाम लिखे जाने की शुरूआत हो जाती है और इस तरह किसी शहर या जिले का नया नामकरण हो जाता है।
राज्य का नाम बदलने में यह प्रक्रिया अपनाई जाती
भारत के किसी भी राज्य का नाम बदलने का जिक्र संविधान के आर्टिकल तीन व चार में है। किसी भी राज्य का नाम बदलने के लिए सबसे पहले संसद या राज्य की विधानसभा से इस प्रक्रिया की शुरूआत की जाती है। इसके बिना यह प्रक्रिया प्रारंभ भी नहीं की जा सकती।
– राज्य का नाम बदलने संबंधी बिल संसद में लायी जाती है जो
राष्ट्रपति की सहमति से पेश की जाती है। – बिल लाने के पहले राष्ट्रपति द्वारा बिल को संबंधित राज्य की असेंबली को भेजकर राय मांगते हैं। इसके लिए एक समयसीमा निर्धारित होती है। हालांकि, राज्य का राय राष्ट्रपति या संसद के लिए बाध्यकारी नहीं होता।
– बिल राज्य को भेजने के बाद समयसीमा में अगर कोई जवाब नहीं मिलता तो इसे संसद में पेश कर दिया जाता है। -बहुमत से बिल संसद में पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास एप्रुवल के लिए भेज दिया जाता है।
– राष्ट्रपति के एप्रुवल के बाद राज्य का नाम बदल जाता है, फिर समस्त दस्तावेजों में नए नामकरण को दर्ज किया जाने लगता है।