तीन दशकों से गोरखपुर संसदीय सीट पर रहा है मंदिर का कब्जा गोरखपुर संसदीय सीट गोरखनाथ मंदिर के प्रभाव क्षेत्र वाली सीट है। इस सीट पर आजादी के बाद अबतक 17 बार चुनाव हुए हैं इसमें दस बार मंदिर में जीत की जश्न मनाई गई। गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ मंदिर का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले सांसद रहे। उनके निधन के बाद खाली हुई संसदीय सीट पर उनके उत्तराधिकारी महंत अवेद्यनाथ ने उपचुनाव लड़कर जीत हासिल की। फिर 1989 में महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर के सांसद बने। वे लगातार तीन बार चुनाव जीते। राजनैतिक जीवन से सन्यास लेने के बाद 1998 में वह अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को चुनाव मैदान में उतारे। योगी इस सीट पर अजेय हो गए और लगातार पांच बार चुनाव जीते। 2017 में सांसद रहते हुए उनको यूपी की कमान सौंपी गई। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और एमएलसी पद पर निर्वाचित होने के बाद उन्होंने संसदीय सीट छोड़ दी। 2018 में हुए उपचुनाव में सपा ने तीन दशक पुराने गढ़ को ध्वस्त करते हुए सीट हथिया लिया था।
बीजेपी के लिए यह सीट इसलिए है बेहद महत्वपूर्ण
2019 की तैयारियों में गोरखपुर सीट बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है वजह यह कि उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद के खिलाफ यहां प्रत्याशी उतारा गया था। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने इस सीट को जीतने के लिए भले ही चुनाव प्रचार बहुत किया हो लेकिन उनसे जुड़े लोग और उनकी हिंदू युवा वाहिनी ने उपचुनाव में कोई रूचि नहीं दिखाई। चूंकि, गोरखपुर में बीजेपी से अधिक हियुवा प्रभावी रही है इसलिए बीजेपी को उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि, हमेशा मंदिर के प्रभाव में बीजेपी को वोट देते आ रहे निषाद समुदाय ने भी इस बार सपा को खुलकर समर्थन देते हुए अपने सजातीय प्रत्याशी को जीताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। सूत्रों की अगर मानें तो संगठन अब किसी भी हाल में यह सीट जीतने में लगा है ताकि वह संदेश दे सके कि संगठन ही सर्वाेपरि है।
उपेंद्र दत्त शुक्ल योगी के विरोधी गुट के रहे हैं गोरखपुर में बीजेपी ही कई गुटों में बंटी रही है। यहां ब्राह्मण-ठाकुर वर्चस्व की लड़ाई हमेशा से चुनावों में दिखी है। चार बार से अजेय विधायक रहे वर्तमान केंद्रीय वित्त मंत्री शिव प्रताप शुक्ल को मंदिर के विरोध की वजह से हार का सामना करना पड़ा था। योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी को चुनौती देते हुए हिंदू महासभा से डाॅ.राधामोहन दास अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा था और चुनाव जिताया था। करीब चैदह साल तक किसी भी सदन में न पहुंच सके शिव प्रताप शुक्ल को दो साल पहले अचानक से संगठन ने राज्यसभा में भेजा। शिव प्रताप शुक्ल योगी के धुर विरोधी गुट के माने जाते रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने पाॅवर बैलेंस करते हुए योगी और शिव प्रताप गुट को एकसमान खड़ा कर दिया। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया तो शिव प्रताप शुक्ल को केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह मिली। यानी ब्राह्मण-ठाकुर दोनों मतदाताओं को साधने की कोशिश हुई। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद संगठन लगातार उनकी पसंद को नकारता आ रहा। सबसे पहले मेयर प्रत्याशी के तौर पर योगी की पसंद को खारिज कर दिया गया तो दुबारा उनके द्वारा खाली की गई लोकसभा सीट पर उनके पसंद का प्रत्याशी न उतारकर संगठन में लंबे समय तक जुड़े व्यक्ति को तरजीह देकर यह संदेश देने की कोशिश की संगठन ही सर्वाेपरि है।
निषाद समाज को साधने में लगी बीजेपी निषाद दल और सपा के गठबंधन के बाद गोरखपुर सीट का समीकरण बदल चुका है। बसपा व अन्य छोटे दलों के साथ आने से इस सीट पर दलित-निषाद-यादव व मुसलमान का समीकरण काफी मजबूत हो चुका है। निषाद समाज, यादव व मुसलमान यहां चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह गठबंधन काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा। चूंकि, मुसलमान बीजेपी को कभी पसंद करेगा नहीं। यादव समाज का भी अधिसंख्य हिस्सा सपा के साथ है। बीजेपी ने खुद ओबीसी को धु्रवीकरण करने के लिए यादव समाज को अलग-थलग करे हुए है। ऐसे में केवल निषाद समाज पर पार्टी फोकस कर रही है। इस समाज के अधिक से अधिक लोग पार्टी से जुड़े इसके लिए पार्टी ने इस समाज के नेताओं को इस क्षेत्र में बड़े शातिराना ढंग से काम पर लगाया है। गोरखपुर में गठबंधन की जीत के बाद यूपी में उभरे नए समीकरण के बाद बीजेपी महादलित और अतिपिछड़ा कार्ड भी खेलने में जुटी हुई है।
रणनीति के बहाने कई बार सुनील बंसल भी उपचुनाव बाद आए गोरखपुर में मिशन 2019 में बीजेपी सफलता हासिल कर सके इसके लिए प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल कई बार गोरखपुर आ चुके हैं। वह संगठन के लिए रणनीति बनाने के साथ गोरखपुर संसदीय सीट की समीक्षा जरूर करते हैं। सूत्रों की मानें तो गोरखपुर क्षेत्र की सीटों में सबसे अधिक फोकस इस बार गोरखपुर संसदीय सीट पर किया जा रहा है।
सरकार ने भी गोरखपुर के लिए खजाना खोला यूपी और केंद्र सरकार ने भी गोरखपुर जिले के लिए खजाना खोेल दिया है। दर्जनों बड़ी परियोजनाएं एम्स, फर्टिलाईजर, चिड़ियाघर, रामगढ़ ताल पिकनिक स्पाॅट, मिनी एनेक्सी सहित रोड-ट्रांसपोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं के अतिरिक्त तमाम विकास कार्य गोरखपुर में कराए जा रहे हैं। हजारों करोड़ रुपये के काम यहां चल रहे हैं। काम की मानिटरिंग खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। इसके पीछे रणनीतिकारों की मंशा यह है कि आने वाले 2019 में जनता को विकास कार्याें को अमली जामा पहनते दिख जाए ताकि विकास के नाम पर वोट बैंक को भजाया जा सके।