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ये हैं हमारे ‘माननीय’, निधि से विकास कार्य कराने में भी पिछड़ गए

locationगोरखपुरPublished: Mar 25, 2019 03:01:21 pm

विकास की गंगा बहाने वाले पांच साल में पच्चीस करोड़ भी खर्च न कर सके

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विकास के लंबे-चैड़े वादे कर चुनाव जीतने वाले सांसद क्षेत्रीय विकास के लिए मिलने वाली निधि को खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। पांच साल के कार्यकाल में इन जनप्रतिनिधियों को इतना भी फुर्सत नहीं मिल सका कि वे जनहित के कामों के लिए सांसद निधि का धन खर्च कर सकें। गोरखपुर-बस्ती क्षेत्र के नौ सांसदों में एक भी सांसद ऐसा नहीं है जिसने पच्चीस करोड़ की धनराशि खर्च कर सकी हो। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन सांसदों के क्षेत्र में विकास की इतनी गंगा बह गई कि उनको निधि खर्च करने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई या इनके पास इस धन को खर्च करने के लिए कोई कार्ययोजना ही नहीं सूझी।

गोरखपुर क्षेत्र के ‘माननीय’ निधि खर्च करने में पीछे

कुशीनगर के सांसद राजेश पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय गोरखपुर-बस्ती मंडल के सांसदों में निधि खर्च करने में अव्वल हैं। गुड्डू पांडेय 25 करोड़ रुपये में 21.69 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अभी भी कुशीनगर सांसद की निधि में सवा तीन करोड़ से अधिक धन शेष है। कुशीनगर सांसद के बाद महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी निधि का धन खर्चने में आगे हैं। पंकज चौधरी 20.84 करोड़ रुपये विभिन्न योजनाओं में खर्च कर किए हैं।
बीजेपी के दिग्गज नेता कलराज मिश्र भी सांसद निधि खर्च करने में कोई खास रूचि नहीं दिखाए हैं। कलराज मिश्र 25 करोड़ की निधि में 18.79 करोड़ ही खर्च कर पाएं हैं।
जूता कांड से चर्चित हुए संतकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी भी सांसद निधि का धन खर्च करने में कोई विशेष रूचि नहीं दिखाए हैं। बेस्ट सांसद का अवार्ड पा चुके शरद त्रिपाठी 17.49 करोड़ ही खर्च सके हैं।
कांग्रेस से भाजपा का दामन पिछले चुनाव में थामने वाले डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल भी सांसद निधि खर्च करने में दूसरों से अलग नहीं हैं। डुमरियागंज सांसद ने 19.63 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सलेमपुर सांसद रविंद्र कुशवाहा पांच साल में मिले 25 करोड़ रुपये में महज 17.44 करोड़ रुपये ही खर्च कर सके हैं तो बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी 17.51 करोड़ रुपये का भी प्रस्ताव दे सके हैं। सांसद निधि को खर्च करने में सबसे फिसड्डी बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान साबित हुए हैं। कमलेश पासवान महज 13.71 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद 11.83 करोड़ खर्च किए हैं। बता दें कि गोरखपुर सांसद के रूप में 2014 में योगी आदित्यनाथ चुनाव जीते थे। उनके इस्तीफा के बाद यहां से प्रवीण निषाद सांसद बने।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में 2014 में बीजेपी को मिली थी प्रचंड जीत

गोरखपुर-बस्ती मंडल क्षेत्र में कुल नौ लोकसभा क्षेत्र हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां की जनता ने भाजपा और नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया था और सभी नौ लोकसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की जीत हासिल हुई थी। लेकिन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी सूबे में भी सत्ता में आ गई। गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। योगी आदित्यनाथ के सांसद बनने के बाद गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। इस बार यह सीट बीजेपी बचाने में नाकामयाब रही। सपा के उम्मीदवार प्रवीण निषाद संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी बने और उपचुनाव में जीत हासिल किए। उनको एक साल से कुछ अधिक कार्यकाल सांसद के लिए मिल सका।
हर साल एक सांसद को मिलता है पांच करोड़

हर लोकसभा क्षेत्र के सांसद को क्षेत्रीय विकास के लिए सालाना पांच करोड़ रुपये मिलते हैं। एक सांसद के पांच साल के कार्यकाल में पच्चीस करोड़ रुपये मिलते हैं। इस धन से सांसद अपने क्षेत्र में विकास कार्य मनमाफिक तरीके से करा सकता है। यथा स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, शिक्षा, बिजली सहित विभिन्न योजनाओं के लिए वह अपने निधि से धन दे सकता है, खर्च कर सकता है। सांसद किसी ऐसी परियोजना पर भी इस धन को खर्च कर सकता है जो जनहित के लिए जरूरी हो।
सांसद क्षेत्र निधि से खर्च
राजेश पांडेय कुशीनगर 21.69
पंकज चौधरी महराजगंज 20.84
जगदंबिका पाल डुमरियागंज 19.63
कलराज मिश्र देवरिया 18.79
हरीश द्विवेदी बस्ती 17.51
शरद त्रिपाठी संतकबीरनगर 17.49
रविंद्र कुशवाहा सलेमपुर 17.44
कमलेश पासवान बांसगांव 13.71
प्रवीण निषाद गोरखपुर 11.83

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