इन लोगों में मांग की कि रोहिंग्या मुसलमानों का जनसंहार रोका जाये, रोहिंग्या मुसलमानों की जान, माल, इज्जतों-आबरु की हिफाजत व हर तरह की मदद पहुंचाई जाये, कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु ‘‘अशीन विराथु’’ को आतंकवादी घोषित की जाए। ज्ञापन के माध्यम से मांग किया कि आंग सान सू ची से नोबेल पुरस्कार वापस की जाए, रोहिंग्या मुसलमान शर्णार्थियों को भारत से न निकाला जाये। इसके अलावा रॉ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह को गिरफ्तार करने के साथ भारतीय मीडिया पर जनभावना को ठेस पहुंचाने वाले डिबेट्स व अन्य कार्यक्रमों पर रोक लगाने की मांग की गयी। इस दौरान जोरदार नारे लगाये गये।
महासभा के अध्यक्ष जावेद सिमनानी ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों का कत्लेआम हो रहा हैं। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, महिलाओं को मारा व जलाया जा रहा हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को जो यातनाएं दी जा रही हैं उसे देख व सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) की ओर से अब तक कोई मदद नहीं की गई और न ही म्यांमार (बर्मा) सरकार पर कोई दबाव बनाया गया और न ही अन्तर्राष्ट्रीय फ़ौज भेजकर निहत्थे रोहिंग्या मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम रोका गया, यह बहुत अफसोसनाक है।
साथ ही कहा कि भारत के पड़ोसी मुल्क म्यांमार (बर्मा) के रखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों की नस्लीय जनसंहार किया जा रहा है। सरेआम बर्मा की फौज के द्वारा मुस्लिम औरतों और लड़कियों के साथ रेप किया जा रहा है। मुसलमानों के कत्ल व घरों में आग लगाई जा रही है और कहा जा रहा है कि म्यांमार छोड़ कर चले जाओ। ज़ुल्म और सितम की इंतहा यहीं खत्म नहीं होती मौत से पहले जो यातनाएं लोगों को दी जा रही हैं उन्हें सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए। अफसोस है कि भारत सरकार की ओर से अब तक रोहिंग्या मुसलमानों की कोई मदद नहीं की गई और न ही बर्मा सरकार पर कोई दबाव बनाया गया। रोहिंग्या मुसलमानों की मदद के लिए सभी मुल्कों को आगे आना चाहिए।