कम खर्च में हुई तैयार उधर, इंजीनियर सर्वेश दुबे के इस योगदान की सराहना करते हुए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने उन्हें सम्मानित किया। उनके द्वारा तैयार की हुई डिवाइस से समय से पहले ही खराबी की जानकारी मिल गई जिसके बाद उसे दुरुस्त कर लिया गया। वहीं सर्वेश की इस पहल से न सिर्फ एक बेहतर डिवाइस तैयार हुई बल्कि लाखों रुपये की बचत भी हुई। डिपो के अनुसार, अगर इस उपकरण को बाहर के वेंडर से बनवाया जाता तो करीब सात लाख रुपये खर्च होते जबकि चंद हजार रुपये के खर्च में ही डिपो के अंदर उपलब्ध संसाधनों से उपकरण बना लिया गया है।
इस तरह काम करेगी डिवाइस डिवाइस के काम करने को लेकर इंजीनियर सर्वेश दुबे ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई डिवाइस आडियो और विजुअल सिग्नल पर आधारित है। डिवाइस पहिये में आई खराबी को तुरंत रीड कर लेती है और उसे विजुअल के रूप पर स्क्रीन पर भेजती है। स्क्रीन पर आए विजुअल को देख फ्लैंज यानी की खराबी को आसानी से पकड़ लिया जाता है।
रेलवे बोर्ड अवार्ड से किया जाएगा सम्मानित सर्वेश दुबे के इनोवेशन को वाराणसी डिपो के साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे के अन्य डिपो में भी प्रयोग मे लाया गया है। बेहतर कार्य और इनोवेशन के लिए सर्वेश दुबे को महाप्रबंधक स्तर पर हाल में सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही उन्हें डीआरएम अवार्ड भी दिया गया है। बताया जा रहा है कि सर्वेश को जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे बोर्ड अवार्ड से भी सम्मानित किया जाएगा।