गोरखपुर। योगी आदित्यनाथ की अजेय संसदीय सीट गोरखपुर पर बीजेपी काबिज होगी कि नहीं यह तो 14 मार्च कोे ईवीएम में पड़े मतों की गिनती केबाद पता लगेगा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके ही गढ़ में घेरकर विपक्ष इसे वाटरलू साबित करने पर तुला हुआ है।
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को छोड़कर बसपा,निषाद दल, पीस पार्टी समेत अन्य प्रमुख दलों को एक मंच पर अपने साथ लाकर बीजेपी को जोरदार तरीके से घेर दिया है। अपने परम्परागत मत यादव व मुसलमान के अलावा निषाद वोट को भी अपने पाले में करने की कोशिश की है। हालांकि, पूर्व में भी संसदीय चुनाव समाजवादी पार्टी निषाद प्रत्याशी को लड़ा चुकी है। लेकिन इस बार के हालात कुछ जुदा हैं। अव्वल यह कि गोरखनाथ
मंदिर का कोई प्रत्याशी नहीं है और दूसरा यह कि बसपा का सपा को समर्थन है। ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी निषाद मतों का धु्रवीकरण अपने पक्ष में कराने के साथ बसपा का वोटबैंक ट्रांसफर कराने में सफल होती है तो यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
प्रमुख विरोधी दलों के एकसाथ आने से बीजेपी भी सकते में हैं। चुनाव में कोई चूक न हो इसलिए बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने के लिए अपने मंत्रियों, विधायकों व सांसदों को जातीय समीकरण को समझते हुए सजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में लगाया है। यही नहीं जातिय संगठनों के नेताओं को भी बीजेपी ने साधने के लिए पहले से ही उतार दिया है। निषाद मतों का धु्रवीकरण समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में होनेे पर खतरा को भांपते हुए बीजेपी ने सबसे अधिक
ध्यान इन वोटरों को अपने पाले में करने के लिए की है। प्रचार के दौरान हर जनसभा में दूसरे दलों के निषाद नेताओं को पार्टी में शामिल कराकर बीजेपी ने उस मनोविज्ञान को पार पाने की कोशिश की है जिससे यह लगने लगा था कि एक पार्टी को इन मतों धु्रवीकरण हो रहा।
बीजेपी थोड़ी राहत में इसलिए भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी कोे मिलने वाला वोट समाजवादी पार्टी को मिल सकने वाला ही वोट होगा जो बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकेगा। कांग्रेस प्रत्याशी जितना अधिक वोट पाएंगी, सपा को ही उसका नुकसान झेलना पड़ सकता है। चूंकि,समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, पीस पार्टी या निषाद दल का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में माना जाता है। ऐसे में खुद को चारो ओर से घिरती बीजेपी ने गांव से अधिक शहर को इस उपचुनाव में फोकस करने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि प्रचार के अंतिम दिनों में पार्टी से जुड़े नेताओं, मंत्रियों व विधायक-सांसदों ने शहर के एक-एक वार्ड में दस्तक दिया। शहर और आसपास पूरे प्रचार अभियान के दौरान मुख्यमंत्री की सभाएं कराई गईं।
बहरहाल, मतदान शुरू होने में अभी कुछ ही घंटे बाकी है। पोलिंग पार्टिंयां रवाना होनी शुरू हो चुकी हैं। राजनीतिक दल बूथ एजेंट से लेकर वोटिंग की तैयारियों में। हर कोई अपना एक-एक वोट बूथ तक पहुंचवाने को बेचैन है। विपक्ष अपनी रणनीति से गोरखपुर उपचुनाव को जीतने में तुला है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीत के अश्वमेध को बेधड़क दौड़ाना। कौन कितना सफल होगा यह 14 मार्च का परिणाम बताएगा।