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छात्र ने तैयार की फोटो वोल्टेइक सेल,सोलर पैनल का काम करेंगे खिड़की के शीशे

locationगोरखपुरPublished: Dec 23, 2021 05:36:51 pm

Submitted by:

Punit Srivastava

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधार्थी डा. सदानंद मौर्य ने एक ऐसा पारदर्शी फोटो वोल्टेइक सेल तैयार किया है, जिसे अगर किसी शीशे पर लगा दिया जाए तो वह सोलर पैनल में तब्दील हो जाएगा। खास बात यह है कि इससे शीशे की पारदर्शिता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भौतिक विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो. डीके द्विवेदी के निर्देशन में हुए इस शोध से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने की लागत में भी भारी कमी आएगी। प्रयोगशाला में इस प्रयोग को सफलता मिल चुकी है। अब व्यावसायिक स्वरूप देने की तैयारी है।

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अब सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सोलर पैनल लगाए बिना भी सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकेगा । जी हां यह संभव कर दिखाया है गोरखपुर मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोध छात्र डॉक्टर सदानंद मौर्य ने । मौर्य ने एक ऐसा एक ऐसा पारदर्शी फोटो वोल्टेइक सेल तैयार किया है, जिसे अगर किसी शीशे पर लगा दिया जाए तो वह सोलर पैनल में तब्दील हो जाएगा। खास बात यह है कि इससे शीशे की पारदर्शिता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
भौतिक विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो. डीके द्विवेदी ने बताया कि छात्र सदानंद ने सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने का जो तरीका विकसित किया है। नि:संदेह वह एक नई क्रांति का सृजन है। इससे सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने की लागत में भी भारी कमी आएगी। प्रयोगशाला में इस प्रयोग को सफलता मिल चुकी है।
शीशे पर चिपकते ही कंडक्टर का काम करने लगेगा सोलर सेल –
डा. सदानंद ने बताया कि शीशे का इस्तेमाल सोलर पैनल के रूप में करने के लिए सबसे पहले 20 नैनो मीटर का एक सोलर सेल (पारदर्शी पतली झिल्ली) तैयार किया गया। इस सोलर सेल को लार्ज बैंड गैप मैटेरियल नाम दिया गया। यह सोलर सेल शीशे पर चिपकते ही कंडक्टर का काम करने लगेगा। सोलर सेल सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को विद्युत ऊर्जा में बदल देगा। डा. सदानंद के मुताबिक सामान्य सोलर पैनल के मुकाबले इसकी उत्पादन क्षमता तो करीब आधी होगी लेकिन इसलिए ज्यादा उपयोगी होगी क्योंकि इसका इस्तेमाल हर उस जगह पर किया जा सकेगा, जहां शीशा लगा हो और उसे सूर्य की रोशनी सीधे मिले रही हो
ऐसे बनेगी विद्युत ऊर्जा-
शीशे को सोलर पैनल बनाने के लिए जिस पारदर्शी झिल्ली को तैयार किया गया है, उसमें ऊपर के हिस्से में निकिल आक्साइड और नीचे के हिस्से में ज‍िंंक आक्साइड है। यह झिल्ली सूर्य की रोशनी से मिलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणों को अवशोषित करेगी। उन अवशोषित किरणों को दो इलेक्ट्रोड के जरिए विद्युत ऊर्जा में बदल देगी। इसके लिए शीशे के किसी हिस्से में इलेक्ट्रोड लगाना होगा।
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे पी पांडेय ने कहा कि यह शोध नि:संदेह समाज के लिए उपयोगी होगा। इससे सौर ऊर्जा को आसानी से विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकेगा। जिससे अधिक से अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी। मैं शोधार्थी सदानंद के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
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