scriptअलविदा 2017: दशकों पुराने ठाकुर-ब्राह्मण वर्चस्व की लड़ाई को हवा देकर जा रहा यह साल | Political rivalry again in Gorakhpur between Brahmin and kshatriy | Patrika News

अलविदा 2017: दशकों पुराने ठाकुर-ब्राह्मण वर्चस्व की लड़ाई को हवा देकर जा रहा यह साल

locationगोरखपुरPublished: Dec 31, 2017 08:17:12 pm

गोरखपुर 2017 को राजनैतिक उपलब्धि, आक्सीजन कांड और इंसेफेलाइटिस आदि के लिए सबसे अधिक याद रखेगा

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गोरखपुर। साल 2017 अलविदा कहने जा रहा। कड़ाके की ठंड में नए साल 2018 का लोग गर्मजोशी से स्वागत करने को बेताब हैं। हर आने वाला साल ढेर सारी उम्मीदें लेकर आता है और जाते-जाते जेहर में कई खट्ठे-मीठी यादें देकर चला जाता। गुजर रहा 2017 भी जेहन में कई खूबसूरत तो कई खराब यादों के साथ विकास के कई पैमाने गढ़ कर जा रहा। गोरखपुर के लिए कई मायनों में यह साल खास रहा। कुछ इस साल को याद रखना चाहेंगे तो तमाम लोग इस साल को बिसराना।
इस साल ने गोरखपुर का मुख्यमंत्री दिया तो ठाकुर-ब्राह्मण वर्चस्व को भी हवा दी
साल 2017 की शुरूआत राजनैतिक रूप से चैकाने वाला साबित हुआ। विधानसभा चुनाव के दौरान गोरखपुर के लोग कभी सोचेे भी नहीं थे कि सूबे को यह क्षेत्र एक और मुख्यमंत्री देने जा रहा। लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि यह साल देकर जा रहा। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी इस साल की सबसे बड़ी राजनैतिक घटना यहां के लिए साबित होगी। हालांकि, इसी साल सालों पुरानी मंदिर और हाता की राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता भी एक बार फिर उभरी। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी होते ही बाहुबलि पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के हाता पर पुलिस छापेमारी से आए राजनैतिक भूचाल के लिए भी यह साल जाना जाएगा। यह प्रकरण ठाकुर-ब्राह्मण वर्चस्व की लड़ाई को फिर जन्म दे दिया है। अभी कुछ दिन पूर्व विधानसभा में निर्दल विधायक अमन मणि त्रिपाठी द्वारा अपनी जान को खतरा बताए जाना और इसके लिए सीधे तौर पर हाता पर आरोप लगाया जाना इसी वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा। माना जा रहा कि निर्दल विधायक अमन मणि को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का छुपे तौर पर आशीर्वाद प्राप्त है। यहां यह जानना जरूरी है कि विधायक अमन मणि के पिता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी एक जमाने में पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के सबसे खास में शुमार रहे हैं।
उस काली रात को कोई याद नहीं करना चाहेगा

साल 2017 बीआरडी मेडिकल काॅलेज और दर्जनों परिवारों के लिए एक काला साल के रूप में भी जाना जाएगा। अगस्त माह के प्रथम पखवारे में बीआरडी मेडिकल काॅलेज पूरे देश की सुर्खियों में रहा। 10 व 11 अगस्त को आक्सीजन की सप्लाई बाधित होने की वजह से दर्जनों बच्चों की जान चली गई थी। आक्सीजन के खेल में मासूमों की जान जाने के बाद प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार तक हिलने लगी थी। खुद मुख्यमंत्री से लेकर कई बड़े मंत्री यहां पहुंचे थे। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत दर्जनों बड़े राजनैतिक चेहरे गोरखपुर कांड की निंदा करने यहां पहुंचे थे। हफ्तों देश व विदेशी की मीडिया यहां डेरा जमाए रही। इन दबावों के चलते प्रदेश सरकार ने बीआरडी मेडिकल काॅलेज के तत्काली प्राचार्य डाॅ.राजीव मिश्र समेत नौ लोगों के खिलाफ जांच कराकर एफआईआर दर्ज कराया था। इन लोगों की गिरफ्तारियां हुई और फिलहाल सभी आरोपी जेल में हैं। हालांकि, इन सबके बावजूद मेडिकल काॅलेज की व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हो सका। इंसेफेलाइटिस से मौतों का सिलसिला आज भी जारी है। व्यवस्थागत खामियांे पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा सका है। खैर इन सबके बावजूद यह साल उन माताओं के लिए काले साल के रूप में भूलाने की कोशिश की जाएगी जिनकी गोद यहां सूनी हो गई।
इस साल भी एम्स की ओपीडी का इंतजार ही होता रहा
वायदे के बावजूद इस साल तो एम्स की ओपीडी नहीं शुरू हो सकी लेकिन नए साल उम्मीद बंधा रहा। खाद कारखाने का भी कबाड़ अभी हटाया ही जा रहा। उम्मीद है नए साल पर कुछ निर्माण कार्य हो सके। बीत रहे साल में खाद कारखाने के लिए बिछने वाली गैस पाईपलाइन परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर उम्मीद बांधे रखा है।
पिपराइच में चीनी मिल का शिलान्यास कर किसानों को तोहफा

गुजर रहा साल गोरखपुर के गन्ना किसानों को भी सौगात देकर जा रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर में पिपराइच में नई चीनी मिल का शिलान्यास कर किसानों से अपना वादा पूरा किया।
वनटांगियों के लिए सबसे अधिक खुशियांे की सौगात दे गया

यह साल सबसे अधिक खुशी वनटांगिया के परिवारों में लेकर आया। गोरखपुर और महराजगंज के 23 वन ग्राम अब राजस्व गांव कहलाएंगे। आजादी के बाद से मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे इन गांवों के घरों में अब विकास की रोशनी पहुंचेगी। गांव विकास के रास्ते पर सरपट भाग सकेगा। मुख्यमंत्री खुद वनटांगियों को लेकर काफी गंभीर हैं।
शहर के हिस्से में भी काफी कुछ
गोरखपुर शहर के हिस्से में इस साल काफी कुछ आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून महीने में गोरखपुर को एक नए एयरपोर्ट टर्मिनल की सौगात दी। करीब 400 वर्ग मीटर में बने टर्मिनल बिल्डिंग में 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। इसका आगे भी विस्तार किया जा सकेगा। इस टर्मिनल बिल्डिंग को करीब 22.34 करोड़ में बनाया गया है। इसमें चार चेक इन काउंटर है। दशकों से लंबित चिड़ियाघर का काम तेजी पकड़ने लगा। इस साल कई जानवरों को लाए जाने की कवायद भी शुरू कर दिया गया। नए साल में संभव है कि लोग अपने बच्चों के साथ चिड़ियाघर का सैर कर सकें। शहर गोरखपुर को भी एलईडी लाइटों की रोशनी से चमकाया जा रहा है। गोरखपुर में 32 हजार एलईटी लाईट लगाई जानी है जिसमें से 3 हजार से अधिक एलईडी लाईट लगा दी गयी है। शहर भर एलईडी लाइट से रोशन करने के लिए नगर निगम ने एक संस्था के समझौता किया गया है।
लेकिन गड्ढामुक्त नहीं हो सका मुख्यमंत्री का जिला

इन सबके बाद इस साल भी गोरखपुर गड्ढामुक्त नहीं हो सका है। डेडलाइन पूरी भी हो गई लेकिन गड्ढामुक्त सड़क का वादा इस साल मुख्यमंत्री का अधूरा ही रह गया।
इस साल इंसेफेलाइटिस का प्रकोप भी कम नहीं हुआ, बाढ़ ने भी मचाई तबाही

इंसेफेलाइटिस इस साल भी सैकड़ों गोद सूनी कर दिया। दावों के विपरीत इस साल भी मौत के आंकड़े कम नहीं हुए। अहम यह कि इससे निपटने के लिए कोई समुचित व्यवस्था इस साल भी नहीं बन सकी। आने वाले साल से उम्मीद है ताकि मासूमों की जान सस्ते में यूं ही न जाती रहे।
इस साल इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी ने ही नहीं बाढ़ ने भी खूब तबाही मचाई। सैकड़ों आशियानों को इसने छीन लिया।
बहरहाल, तमाम यादों को समेटे यह साल विदा हो चला। नया साल नई उम्मीद, जोश-उमंग के साथ एक नई इबारत लिखने के लिए दस्तक दे चुका है। बस दुआ यही कि इंसेफेलाइटिस जैसी महामारी इस बार कोई गोद सूनी न कर सके न ही कभी आक्सीजन कांड की पुनरावृत्ति हो।
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