उन्होंने विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की। घर-परिवार के सभी सदस्यों को प्रतिदिन सामूहिक भोजन तथा भजन का मंत्र दिया। यह संभव न होने की दशा में सप्ताह में एकत्रित होकर, मंगल संवाद करने की सीख दी। महीने में अपने पड़ोसियों से मंगल संवाद करने की बात भी कही।
उन्होंने उन सेवाकर्मियों और बहनों की बातें की, जिनके द्वारा अपना घर घर-गृहस्थी चलाने में सहयोग मिलता है। उनसे अच्छे संवाद करने और परिवार, समाज और देश के लिए कुछ अच्छा करने की सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने इनके साथ संवाद एवं स्नेह का व्यवहार करने, तीज-त्योहार एवं अन्य शुभ मौकों पर उन्हें सम्मान सहित आमंत्रित करने को प्रेरित करने का गुरुमंत्र दिया।
नव-दंपत्तियों में इन भावों को जगाने का मिला मंत्र इस दौरान नव दम्पत्तियों में सहयोग, सहभागिता, सहनशीलता, संयम, चारित्र एवं जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों का कर्तव्य बताया गया। घर परिवार से आलस्य, गलत सामाजिक मान्यताएं, बौद्धिक जड़ता, भय, स्वार्थ एवं अहंकार का त्याग करने को बातचीत करने की नसीहत भी मिली। त्याग करने की मानसिकता तैयार करने के प्रयास को बल मिला। घर में देवालय, विद्यालय, आदरालय, सेवालय का वातावरण तैयार करने पर जोर दिया गया। इन प्रयासों को ही कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि का लक्ष्य बताया गया।
मन को बदलने का प्रयास है सामाजिक समरसता द्वितीय सत्र में सामाजिक समरसता पर बोलते हुए होशबोले ने कहा कि यह हर एक व्यक्ति के मन को बदलने का कार्य है न कि सभा, सम्मेलन, कार्यक्रम व विरोध का।
सामाजिक समरसता का कार्य कर रहा है आरएसएस उन्होंने कहा कि संघ में यह कार्य प्रारम्भ से चल रहा है। समाज की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखकर पिछले सात वर्ष से सुव्यस्थित रूप से सामाजिक समरसता गतिविधि का कार्य चल रहा है। देश में प्रत्येक खण्ड स्तर पर महिला एवं पुरूषों की एक टोली इसका प्रयास कर रही है। व्यक्तिगत जीवन या पारिवारिक जीवन व समाज जीवन में परिवर्तन के लिए यह टोली प्रयासरत है।
सामाजिक समरसता का यह दिया मंत्र – विभिन्न महापुरूषों की जयन्ती, पुण्यतिथि या उनके जीवन का कोई विशेष प्रसंग समाज में सुनते रहें। – सभी वर्गों को एक साथ लेकर सामाजिक समरसता निर्माण का प्रयास करें।
– जिन महापुरूषों ने सामाजिक समरसता का प्रयास किया है, उनके विचारों को समाज में पहुँचाएं। – सामाजिक समरसता का प्रयास गतिविधियों से करें। – मन्दिर, जलस्रोत, शमसान जैसे स्थलों को सबके लिए बनाएं।
– समाज में परस्पर स्नेह, समता एवं सहयोग का वातावरण बनाने की दृष्टि से सामाजिक समरसता की गतिविधि पूरे देश में करें।