Read this also: भारतीय राजनीति में यूपी का यह गांव रच रहा इतिहास, 52 साल से इस गांव के बेटों की गूंज रही संसद में आवाज एनईआर रेलवे सबसे अधिक चूहों से परेशान है। यात्रियों की शिकायतों में चूहों के बारे में भी काफी अधिक शिकायतें होती हैं। इन शिकायतों को दूर करने के लिए रेलवे ने ट्रेनों में चूहों को पकड़ने के लिए अलग से कर्मचारियों को लगाया है। रेलवे ने इसके लिए खास तौर पर बजट भी जारी किया जाता है।
एनई रेलवे गोरखपुर में हर साल दस लाख रुपये चूहों को पकड़ने में खर्च करता है। इन चूहों को पकड़ने के लिए दस आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी रखे गए हैं। वह रोजाना विभिन्न कोचों से चूहों को पकड़ने का काम करते हैं।
कर्मचारी बताते हैं कि रेल गाड़ियों के विभिन्न कोचों से सालाना दो से ढाई हजार के आसपास चूहों को पकड़ा जाता है लेकिन फिर भी इनकी संख्या में कोई खास कमी नहीं आ रही है।
एनई रेलवे गोरखपुर में हर साल दस लाख रुपये चूहों को पकड़ने में खर्च करता है। इन चूहों को पकड़ने के लिए दस आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी रखे गए हैं। वह रोजाना विभिन्न कोचों से चूहों को पकड़ने का काम करते हैं।
कर्मचारी बताते हैं कि रेल गाड़ियों के विभिन्न कोचों से सालाना दो से ढाई हजार के आसपास चूहों को पकड़ा जाता है लेकिन फिर भी इनकी संख्या में कोई खास कमी नहीं आ रही है।
इन शहरों में जाने वाली ट्रेनों में अधिक रहते हैं चूहे गोरखपुर के चूहों को कोचीन, त्रिवेंद्रम, कोलकाता जैसे शहर अधिक पसंद हैं। विभिन्न ट्रेनों में सालाना करीब 2़ से ढाई हजार चूहों को रेलवे गोरखपुर में पकड़वाता है। हर माह औसतन डेढ़ से दो सौ चूहों को पकड़ा जाता है। जिन गाड़ियों में सबसे अधिक चूहे पकड़े गए हैं उनमें त्रिवेंद्रम, कोचीन, कोलकाता जाने वाली गाड़ियों में सबसे अधिक संख्या रही है। मुंबई और चेन्नई जाने वाली गाड़ियों में भी खूब चूहे पकड़े जाते हैं।
Read this also: जश्न-ए-आजादी को शहर से लेकर देहात तक धूमधाम से मनाया गया, हर ओर तिरंगा लहराता रहा ट्रैप लगाकर भी पकड़ते एनई रेलवे ने चूहों को पकड़ने के लिए अपनी बोगियों में ट्रैप लगाया है। करीब चार के आसपास ट्रैप हर बोगी में लगाए जाते हैं ताकि चूहे अगर आएं तो इसमें फंस जाए। यही नहीं कर्मचारी अपने साथ भी रैट कैचर लेकर घूमते हैं। गोरखपुर में दस कर्मचारी हर रोज 12 ट्रेनों में ट्रैप लगाकर चूहों को पकड़ते हैं।
चूहा पकड़ने के बाद अधिकारियों के व्हाट्सअप पर करते हैं रिपोर्ट चूहा पकड़ने के बाद यूं ही कागजों में खानापूरी नहीं की जाती है। कर्मचारी चूहा पकड़ने के बाद बाकायदा उसकी फोटो व्हाट्सअप से साझा करते हैं। इसकी रिपोर्टिंग होती है कि कितने चूहे रोज पकड़े जाते हैं।
नुकसान भी काफी होता रेलवे का चूहों की वजह से रेलवे को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। रेल यात्रियों के सामान तो बर्बाद होते ही हैं पार्सल आदि के नुकसान के साथ पटरियों या रेल संपत्ति के लिए भी वे खतरनाक साबित हो रहे। सालाना कई करोड़ केवल रेलवे चूहों के नुकसान की भरपाई में खर्च कर रहा है।