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शस्त्र पूजा हमारी परंपरा नहीं संस्कृति है: आरएसएस

locationगोरखपुरPublished: Sep 30, 2017 12:20:37 pm

गोरखपुर. शस्त्र पूजा हमारी परंपरा नहीं बल्कि संस्कृति है। अर्जुन ने भी शस्त्र उठाने से मना किया था। अगर वह शस्त्र नहीं उठाते तो अन्याय की विजय संभव थी

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गोरखपुर. शस्त्र पूजा हमारी परंपरा नहीं बल्कि संस्कृति है। अर्जुन ने भी शस्त्र उठाने से मना किया था। अगर वह शस्त्र नहीं उठाते तो अन्याय की विजय संभव थी। हम भी शास्त्र के साथ शस्त्र पूजन नहीं छोड़ सकते। युद्ध में प्रणाम करने का संस्कार भी है। योद्धा अपने बाणों से प्रणाम करते थे। अर्जुन ने भी भीष्म पितामह को ऐसे ही प्रणाम किया था।
ये बातें उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रज्ञा प्रवाह के संगठन मंत्री राम आशीष सिंह ने कही। गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित शस्त्र पूजन समारोह को वह शनिवार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, गीता की रचना किसी शोध करने वाले कमरे में बैठकर नहीं हुई है, इसकी रचना युद्ध क्षेत्र में खड़ा होकर किया गया है। इसकी एक-एक बात प्रयोग सिद्ध है।
उन्होंने कहा कि, सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एक करने का लक्ष्य होना चाहिए। हिन्दू समाज की विभाजक रेखाओं को ख़त्म करना होगा। यह स्वीकार करना होगा कि हर एक आत्मा समान है। वही समानता हर व्यक्ति में भी है।
उन्होंने कहा कि, भारत की रीढ़ धर्म है। इसे बचाना है। धर्म की खिलाफत देश और समाज दोनों के लिए घातक है। चाणक्य के समय में भी घुसपैठ जैसी समस्या आई थी। अब बर्मा में है। अगर हम सनातन हिन्दू धर्म की उपेक्षाओं को सहन करते रहे तो समस्या उत्पन्न होगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए देश की पहचान और भारतीय संस्कृति को बचाना होगा।
उन्होंने कहा कि, यह राष्ट्र हिंदुओं का है। इसकी रक्षा करना हम सबका दायित्व है। सभी भारतीय देवी-देवताओं के हाथों में शस्त्र होता है। शक्ति पूजा हमारी संस्कृति है। इसलिए शक्ति की पूजा होनी चाहिए। हम शांति की स्थापना के लिए शक्ति का अर्जन बंद नहीं कर सकते हैं। शक्ति ने ही शांति कायम करने का कार्य किया है।
इस मौके पर गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष यशपाल सिंह, सह प्रान्त संघचालक पृथ्वीराज सिंह, राजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
input- धीरेंद्र गोपाल

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