दशहरे के दिन RSS ने पूरे विधि-विधान से शस्त्रों की पूजा की। शस्त्र पूजा हमारी परंपरा नहीं बल्कि संस्कृति है। हम भी शास्त्र के साथ शस्त्र पूजन नहीं छोड़ सकते।
खहा कि, युद्ध में प्रणाम करने का संस्कार भी है। योद्धा अपने बाणों से प्रणाम करते थे। अर्जुन ने भी भीष्म पितामह को ऐसे ही प्रणाम किया था।
युद्ध में प्रणाम करने का संस्कार भी है। योद्धा अपने बाणों से प्रणाम करते थे। अर्जुन ने भी भीष्म पितामह को ऐसे ही प्रणाम किया था।
उन्होंने कहा कि, गीता की रचना किसी शोध करने वाले कमरे में बैठकर नहीं हुई है, इसकी रचना युद्ध क्षेत्र में खड़ा होकर किया गया है। इसकी एक-एक बात प्रयोग सिद्ध है।
उन्होंने कहा कि, भारत की रीढ़ धर्म है। इसे बचाना है। धर्म की खिलाफत देश और समाज दोनों के लिए घातक है। चाणक्य के समय में भी घुसपैठ जैसी समस्या आई थी। अब बर्मा में है। अगर हम सनातन हिन्दू धर्म की उपेक्षाओं को सहन करते रहे तो समस्या उत्पन्न होगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए देश की पहचान और भारतीय संस्कृति को बचाना होगा।