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निष्पक्ष जांच हुई तो कई माननीय व नौकरशाह भी आ सकते हैं जद में

locationगोरखपुरPublished: Jan 25, 2020 01:56:08 pm

ओवरलोडिंग का खेल: 15 साल से काम कर रहे एक गैंग पर कसा शिकंजा

ओवरलोड वाहन

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उत्तर प्रदेश में ओवरलोडिंग के खेल का पर्दाफाश होने के बाद इस खेल में शामिल आरटीओ के अधिकारियों व कर्मचारियों में खलबली है। यही नहीं निष्पक्ष जांच से कई सफेदपोश माननीय पर भी इस खेल की आंच पहुंच सकती है।
सूत्रों की माने तो जिलों पर तैनात आरटीओ के अधिकारियों व कर्मचारियों से लेकर तमाम बड़े अधिकारियों व माननीय तक इस रैकेट के साथ सुर में सुर मिलाते रहे हैं। यह रैकेट सीधे तौर पर सत्ता में बैठे माननीय से डील करते थे और वहीं से सभी को फोन आ जाया करता था। हालांकि, इस काम को अंजाम देने वाले शीर्ष के लोगों को ‘खुश’ रखते थे, इस खेल को अंजाम देने वाले हर छोटे-बड़े अधिकारियों-कर्मचारियों या संबंधित विभाग के अन्य लोगों को भी एक तय रकम पहुंचा देते थे।
सूत्र बताते हैं कि अगर ओवरलोडिंग गैंग के खुलासे के बाद इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो जाये तो कार्रवाई की जद में तमाम नौकरशाह तो होंगे ही कई सफेदपोश माननीयों की करतूत सामने आ जायेगी।
इस तरह हुआ रैकेट का भांडाफोड़

ओवरलोडिंग गाड़ियां चलवाने वाले एक गिरोह को शुक्रवार को बेलीपार के मेहरौली स्थित मधुबन होटल से एसटीएफ ने दबोचा है। सरगना सहित गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद एसटीएफ ने इनके पास से गोपनीय डायरी और रजिस्टर भी बरामद किया है।
दरअसल, डेढ़ दशक से गाड़ियों को ओवरलोडिंग कर उसे विभिन्न शहरों में भेजने वाले गिरोह के बारे में एसटीएफ को सूचना मिली थी। ये लोग गाड़ियों की ओवरलोडिंग कर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगा रहे थे। गोरखपुर एसटीएफ ने शुक्रवार को बेलीपार के मेहरौली स्थित मधुबन होटल पर दबिश देकर छह लोगों को गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के बाद ओवरलोडिंग के खेल का बड़ा खुलासा हुआ।
ये लोग हुए गिरफ्तार

एसटीएफ ने बेलीपार के मेहरौली के धर्मपाल सिंह, मनीष सिंह उर्फ सिब्बू सिंह, विवेक सिंह उर्फ सिक्कू सिंह, श्रवण कुमार गौड़, रामसजन तथा देवरिया जिले के कपरवारघाट के शैलेष मल्ल गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ के मुताबिक धर्मपाल सिंह गैंग का सरगना है। यह गैंग पिछले 15 साल से यह धंधा कर रहा था।
इनके पास से यह मिला

एसटीएफ को इनके पास से एक डस्टर कार यूपी 53 बीएस 2001, स्कार्पियो यूपी 53 डीएस 8224, 12 मोबाइल फोन, अवैध वसूली का 28400 रुपये, 35 डायरी-रजिस्टर जिसमें विभिन्न जिलों के आरटीओ के अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम, बैंकों के खातों का विवरण, अलग-अलग जनपदों की अलग-अलग वाहनों की सूची, गाड़ी नम्बर, एटीएम कार्ड, कई चालकों के नाम और नम्बर आदि दर्ज हैं।

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