कौन हैं सुनील सिंह सुनील सिंह हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष 2017 के पहले हुआ करते थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास लोगों में शुमार सुनील सिंह करीब दो दशक से मंदिर के करीबी रहे। बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सम्मान नहीं करने, उनको विधानसभा चुनाव में यूपी का चेहरा नहीं बनाने और उनके लोगों को टिकट वितरण में तवज्जो नहीं देने का आरोप लगाकर सुनील सिंह, महामंत्री रामलक्ष्मण आदि ने बगावत का झंड़ा बुलंद कर दिया था। सुनील ने पूर्वांचल में हिंदू युवा वाहिनी के बैनर तले अपने प्रत्याशी भी उतारने का ऐलान करते हुए प्रत्याशी भी खड़े कर दिए। लेकिन मामला बीजेपी तक पहुंचा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वयं हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद हिंदू युवा वाहिनी से सुनील सहित अन्य नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया। खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यहां कैंप किए। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर समेत कई बड़े नेता गोरखपुर में कई दिनों तक डेरा जमाए रहे। मैदान में आ चुके प्रत्याशियों को वापस कराया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की चुनाव के दौरान बैठक कराई। स्वयं अमित शाह उस बैठक में गए और उनको यह इत्मीनान कराया गया कि कहीं कोई बगावत नहीं है। हालांकि, बर्खास्त नेताओं की वापसी नहीं हुई।
हियुवा भारत का किया गठन हियुवा से निकाले जाने के बाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के कई महीने बाद तक सुनील मंदिर में आते जाते रहे। लखनउ से लेकर मंदिर तक वह सभी कार्यक्रमों में कहीं न कहीं दिख जाते थे। लेकिन राजनीति में उनको कहीं जगह नहीं मिल पा रही थी। वापसी के लिए काफी प्रयास के बाद उन्होंने अपना संगठन बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद हियुवा भारत नाम से संगठन का ऐलान किया।
असली-नकली के विवाद में खड़ा हुआ बखेड़ा सुनील सिंह ने हियुवा भारत संगठन बनाने के साथ उसे पूरे देश में गठन के लिए जुटने का आह्वान किया। यूपी के पूर्वांचल में यह संगठन सक्रिय होता गया। गोरखपुर में संगठन की गतिविधियां तेज हुई तो योगी की अगुवाई वाले हियुवा से आए दिन टकराव की नौबत आती गई। कुछ दिनों पूर्व असली-नकली को लेकर दोनों संगठनों के कार्यकर्ता भिड़ गए। मामला थाने तक पहुंचा। चूंकि, सत्ताधारी दल के संगठन की शिकायत थी। इसलिए पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और सुनील सिंह के संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं को थाने में बिठा लिया। सुनील को जानकारी हुई तो वे अपने साथियों के साथ थाने पहुंचे। वहां विवाद बढ़ने लगा। पुलिस के आला अधिकारी पहुंच गए। मामला बढ़ा लाठीचार्ज हुई। आला अधिकारियों के निर्देश पर सुनील सिंह को भी सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इस मामले में दस लोगों को जेल भेज दिया गया। फिर एक सप्ताह के भीतर ही सुनील सिंह का स्टीकर लगी एक लावारिश गाड़ी पुलिस को मिली। इसमें प्रतिबंधित सामान मिले। पुलिस ने इस मामले में भी सुनील सिंह पर केस दर्ज करने के साथ रासुका भी तामील करा दी।