गोरखनाथ मंदिर में पिछले कई दिनों से देश भर के संतों का समागम हो रहा है। मौका है ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ और महन्त अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का। समारोह में शिरकत करने आये महंतों से अखाड़ा परिषद के फैसले पर चर्चा की गई तो उन्होंने खुलकर इसका समर्थन किया। सबका कहना था कि संत समाज को अब आगे आकर समाज की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे लोग चिन्हित होने चाहिए।
अयोध्या से आये महंत राम विलास वेदांती ने कहा कि साधु-संतों को बदनाम करने में मीडिया का बड़ा योगदान है। साधु-संत फर्जी या नकली नहीं हो सकता। संत समाज में सही व सच्चे लोग ही हैं। गुरमीत जैसे लोगों को मीडिया ने बाबा कहकर प्रचारित किया। वह तो गृहस्थ जीवन जीने वाला व्यक्ति है, कैसे सन्यासी हो सकता। ऐसे ही लोगों को मीडिया बाबा कहकर संत समाज को बदनाम कर रही। उन्होंने अखाड़ा परिषद के निर्णय का स्वागत किया। कहा कि यह एक बेहतर प्रयास है जो संत-समाज की विश्वसनीयता को कायम रखेगा।
इलाहबाद से आये स्वामी गोपाल महाराज ने कहा कि संत समाज कुछ लोगों की वजह से बदनाम हो रहा है। ऐसे लोग हर समाज के होते हैं उनको चिन्हित किया जाना चाहिए। साधु-संत जिन लोगों की वजह से बदनाम हो रहा वह लोग इस समाज का हिस्सा नहीं हैं। अखाड़ा परिषद फर्जी बाबाओं को चिन्हित कर लिस्ट जारी करने का फैसला सराहनीय है।
यह भी पढ़ें- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने फर्जी बाबाओं की जारी की लिस्ट, देखें नाम फैजाबाद के दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास का कहना है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र नाथ गिरी का निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने इस फैसले से संत समाज को बदनाम करने वाले को चिन्हित करने का काम किया है। नकली साधु जो हैं उनके न कोई गुरु हैं न कोई गुरुद्वार। उनका कोई आधार नहीं है। ये लोग मनमुखी साधु हैं। रावण भी तो नकली साधु बनकर सीताजी का अपहरण किया था। ऐसे नकली लोग चिन्हित होने चाहिए।
By Dheerendra V Gopal