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Republic Day Specialइस शाह ने 11 अंग्रेजों को दिलाई थी जलसमाधि, अंग्रेजों ने बेटियों को पहुंचा दिया कोठे पर

locationगोरखपुरPublished: Jan 24, 2018 03:03:40 pm

 
आजादी के जंग में वीर कुंवर सिंह के आह्वान पर कूदे थे शाह इनायत अली

moti jail
गोरखपुर। आजादी के मतवाले कहां किसी केे जुल्म की इंतेहा से घबराने वाले थे। आजाद की दास्तानगोई में गोरों की क्रूरता की न जाने कितनी कहानियां पूर्वांचल की धरती समेटे हुए है। गोरखपुर के शाहपुर स्टेट के राजा इनायत अली भी इन्हीं मतवालों में एक थे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले शाह इनायत अली वीर कुंवर सिंह के आह्वान पर आजाद भारत के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। 11 अंग्रेज अफसरों को नदी की बीच जलधार में छोड़वा दिया था। यही नहीं जब नील की खेती कराने वाले गोरे अंग्रेज के परिवार से भारतीयों को मुक्त कराया तो अंग्रेज कलक्टर ने उनको फांसी पर लटकवा दिया। हद तो यह कि शाह की दो बेटियों को कोठे पर पहुंचा दिया।
यह कहानी 1857 के गदर की है। देश की छोटी-बड़ी तमाम रियासतें आजादी के जंग में कूदने के लिए सेनाएं तैयार कर रही थी। कई राज-रजवाड़े इस जंग-ए-आजादी का हिस्सा बन रहे थे। गोरखपुर के शाहपुर स्टेट के शाह इनायत अली के हाथों में रियासत की कमान थी। जगह-जगह अंग्रेजों के खिलाफ ऐलान-ए-जंग हो चुका था। विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेज सैनिक रियासतों से भी मदद ले रहे थे। गोरखपुर में भी अंग्रेज अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे। इसके लिए अंग्रेजों ने आजमगढ़ से अपने गोरे अफसरों को भेजना था। अंग्रेजों ने सरयू नदी पार कराने केलिए शाहपुर के राजा इनायत अली से मदद मांगी। कमांडर एलिस का यह संदेश राजा इनायत अली तक पहुंचा। यह क्षेत्र उनके ही इलाका में आता था। राजा इनायत अली क्रांति का बिगुल फूंकने का मन बना चुके थे। लेकिन अंग्रेजों से सीधा लोहा लेने की बजाय वह अपने नाविक से अंग्रेजों को सरयू पार कराने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने यह भी संदेश भेजा कि बीच मझधार में वह नाव को डूबो दे। नाविक ने ऐसा ही किया और 11 अंग्रेज अफसरों की जलसमाधि हो गई। शाह के ही क्षेत्र में धुरियापार में नील कोठी थी। गोरे अपने परिवार के साथ यहां रहकर नील की खेती कराते और भारतीय मजदूरों और किसानों पर जुल्म ढ़ाते। आजादी के मतवालों की नजर इस कोठी पर पड़ गई। क्रांति के दौरान इस कोठी पर धावा बोल दिया गया। अंग्रेज परिवार किसी तरह बच गया। अंग्रेजी हुकूमत को जब यह पता लगा तो कलक्टर ने शाह इनायत अली से गोरे अंग्रेज के परिवार की रक्षा को कहा। शाह ने इनकार कर दिया। यह परिवार मारा गया। अंग्रेज कलक्टर ने शाह को भी गोरों की हत्या में आरोपी बनाया। इनको कैदकर दियागया। फिर फांसी दे दी गई।
अंग्रेजी शासकों की बर्बरता यही नहीं खत्म हुई। इन लोगों ने शाह की दोनों बेटियों को बंधक बनाया। उन पर जुल्म ढ़ाया और फिर कोठे पर पहुंचा दिया गया। बसंत सराय में स्थित खंडहर आज भी इनायत अली शाह की बेटियों संग हुई बर्बरता की दास्तां बयां करता है।
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