प्रेस कांफ्रेंस की मुख्य बातें – ऑक्सीजन की कमी की बात मुख्यमंत्री जी के सामने नहीं रखी गयी थी।
एक साथ 20 से अधिक बच्चों की जो मौत की बात बतायी जा रही है वह गंभीर है।
– मुख्यमंत्री ने उचित कार्रवाई का निर्देश दिया हुआ है।
– हमने कुछ आंकड़े निकाले हैं ताकि समझाया जा सके।
– एक दिन के अंदर जो 23 मौत हुई है उसे हम कम नहीं आंक रहे। 2014 से आंकड़े निकलवाए हैं।
– अगस्त के महीने में बच्चों की मौतें 2014 में 19 बच्चे प्रति दिन मर रहे थे 5671
– 2015 में अगस्त के महीने में 22 मौतें रोज होती थीं 6681 थीं
– हम इसे कम नहीं आंकने का प्रयास कर रहे थे।
– अगस्त के महीने में हो या साल भर के भी आंकड़ हमने निकाले तो 2014, 15 और 16 के आंकड़े का प्रतिदिन ऐवरेज 17 से 18 प्रतिदिन निकलता है।
– उसका कारण गोरखपुर ही नहीं बिहार और नेपाल तक से आते हैं।
– जब मेडिकल कॉलेज देश भर में भी होगा बीआरडी ही नहीं। वहां गांव के लोग अंतिम स्टेज में ही आते हैं। ऐसा ट्रेंड सभी मेडिकल कॉलेज में हैं।
– हमने आंकड़े निकालकर जांच शुरू की। आरोप था गैस सप्लाई बाधित होने का।
– हमने जांच किया कि मौत के कारण क्या थे।
– कुछ बच्चे इनफेक्शन और एक बच्चे को लीवर की समस्या भी थी।
– गैस सप्लाई के मामले पर विस्तार से हर पहलू पर नजर रखी।
– 10 तारीख की शाम साढ़े सात बजे शाम को लिक्वड गैस सप्लाई के मीटर ने बीप करना शुरू कर दिया, यानि सप्लाइ लो हो गई थी।
– यह व्यवस्था होती है कि सप्लाई लो होने पर गैस सिलिण्डर से सप्लाई आने लगती है। व्यवस्था साढ़े सात बजे शुरू हो गई और यह 11.30 बजे तक ही चली। डेढ़ बजे तक के सिलिण्डर पर्याप्त मात्रा में गैस से भरे नहीं थे। लिक्विड गैस कम होने पर पंप करने की व्यवस्था की गयी। डेढ़ बजे के बाद सिलिण्डर की सप्लाई आ गयी। तब से अब तक पर्याप्त मात्रा में सप्लाई उपलब्ध हो गई।
– सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मैं और आशुतोष टंडन ने इस पहलू पर भी देखा कि साढ़े सात बजे से लेकर 10 बजकर पांच मिनट तक सात बच्चों की मौत हुई पर गैस सप्लाई की कमी नहीं थी। अगली मौत 11 तारीख की सुबह साढ़े पांच बजे हुई। यानि गैस की कमी और पंप करने के दौरान कोई मौत नहीं हुई।
एक साथ 20 से अधिक बच्चों की जो मौत की बात बतायी जा रही है वह गंभीर है।
– मुख्यमंत्री ने उचित कार्रवाई का निर्देश दिया हुआ है।
– हमने कुछ आंकड़े निकाले हैं ताकि समझाया जा सके।
– एक दिन के अंदर जो 23 मौत हुई है उसे हम कम नहीं आंक रहे। 2014 से आंकड़े निकलवाए हैं।
– अगस्त के महीने में बच्चों की मौतें 2014 में 19 बच्चे प्रति दिन मर रहे थे 5671
– 2015 में अगस्त के महीने में 22 मौतें रोज होती थीं 6681 थीं
– हम इसे कम नहीं आंकने का प्रयास कर रहे थे।
– अगस्त के महीने में हो या साल भर के भी आंकड़ हमने निकाले तो 2014, 15 और 16 के आंकड़े का प्रतिदिन ऐवरेज 17 से 18 प्रतिदिन निकलता है।
– उसका कारण गोरखपुर ही नहीं बिहार और नेपाल तक से आते हैं।
– जब मेडिकल कॉलेज देश भर में भी होगा बीआरडी ही नहीं। वहां गांव के लोग अंतिम स्टेज में ही आते हैं। ऐसा ट्रेंड सभी मेडिकल कॉलेज में हैं।
– हमने आंकड़े निकालकर जांच शुरू की। आरोप था गैस सप्लाई बाधित होने का।
– हमने जांच किया कि मौत के कारण क्या थे।
– कुछ बच्चे इनफेक्शन और एक बच्चे को लीवर की समस्या भी थी।
– गैस सप्लाई के मामले पर विस्तार से हर पहलू पर नजर रखी।
– 10 तारीख की शाम साढ़े सात बजे शाम को लिक्वड गैस सप्लाई के मीटर ने बीप करना शुरू कर दिया, यानि सप्लाइ लो हो गई थी।
– यह व्यवस्था होती है कि सप्लाई लो होने पर गैस सिलिण्डर से सप्लाई आने लगती है। व्यवस्था साढ़े सात बजे शुरू हो गई और यह 11.30 बजे तक ही चली। डेढ़ बजे तक के सिलिण्डर पर्याप्त मात्रा में गैस से भरे नहीं थे। लिक्विड गैस कम होने पर पंप करने की व्यवस्था की गयी। डेढ़ बजे के बाद सिलिण्डर की सप्लाई आ गयी। तब से अब तक पर्याप्त मात्रा में सप्लाई उपलब्ध हो गई।
– सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मैं और आशुतोष टंडन ने इस पहलू पर भी देखा कि साढ़े सात बजे से लेकर 10 बजकर पांच मिनट तक सात बच्चों की मौत हुई पर गैस सप्लाई की कमी नहीं थी। अगली मौत 11 तारीख की सुबह साढ़े पांच बजे हुई। यानि गैस की कमी और पंप करने के दौरान कोई मौत नहीं हुई।