खूब हुई घोषणाएं लेकिन अमलीजामा पहनाने में सब पीछे डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में अधिकतर मुख्यमंत्री आ चुके हैं। प्रत्येक आने वाले मुख्यमंत्री ने कुछ न कुछ घोषणाएं भी की, लेकिन वह घोषणाएं अगर अमलीजामा पहन चुकी होती तो विकास के पहले पायदान पर जाने से इस क्षेत्र को कोई रोक नहीं सकता था। पर अफसोस कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने जीतने के बाद पलटकर विकास के बारे में नहीं सोचा। डुमरियागंज क्षेत्र को जानने वाले बताते हैं कि जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे तो यहां आए थे और इटवा के भिलौरी में चीनी मिल की राह प्रशस्त की थी। लेकिन कई दशक बाद भी चीनी मिल अस्तित्व में नहीं आ सकी। मायावती ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए बुद्धस्थली को विकसित करने की घोषणा की। यहां हवाई अड्डा के अलावा बुद्ध से जुड़ी स्मृतियों को विकसित करने का ऐलान किया था लेकिन आज तक वह पूरा नहीं हो सका। भाजपा के शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने भी सिद्धार्थनगर आकर कई बड़ी घोषणाएं की थी। उन्होंने बुद्ध की सबसे उंची प्रतिमा स्थापित करने का ऐलान किया था। उनके द्वारा प्रतीक प्रतिमा का शिलान्यास भी कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने सिद्धार्थनगर में एक विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। विवि तो प्रारंभ हो चुका है लेकिन केवल कामर्स की पढ़ाई कई साल बीतने के बाद शुरू हो सका है। उन्होंने ऐलान किया था कि यहां विदेशी भाषाओं का अध्ययन केंद्र खुलेगा लेकिन आज कई साल बाद यह ऐलान अमलीजामा नहीं पहन सका।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुद्ध अध्ययन केंद्र, पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन केंद्र व अटल बिहारी बाजपेयी शोध केंद्र की घोषणा की थी। पर बुद्ध अध्ययन केंद्र का काम अभी भी शुरू नहीं हो सका। हालांकि, चुनाव की तिथियों के ऐलान के पहले इस क्षेत्र में एक मेडिकल काॅलेज का शिलान्यास हो चुका है।
मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने सिद्धार्थनगर में एक विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। विवि तो प्रारंभ हो चुका है लेकिन केवल कामर्स की पढ़ाई कई साल बीतने के बाद शुरू हो सका है। उन्होंने ऐलान किया था कि यहां विदेशी भाषाओं का अध्ययन केंद्र खुलेगा लेकिन आज कई साल बाद यह ऐलान अमलीजामा नहीं पहन सका।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुद्ध अध्ययन केंद्र, पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन केंद्र व अटल बिहारी बाजपेयी शोध केंद्र की घोषणा की थी। पर बुद्ध अध्ययन केंद्र का काम अभी भी शुरू नहीं हो सका। हालांकि, चुनाव की तिथियों के ऐलान के पहले इस क्षेत्र में एक मेडिकल काॅलेज का शिलान्यास हो चुका है।
कोलकाता में रखे बुद्ध के अस्थिकलश की दशकों से मांग भगवान बुद्ध ने कपिलवस्तु में अपने जीवन के करीब 29 साल बीताए थे। कई सालों से कोलकाता में रखी बुद्ध की अस्थियों को कपिलवस्तु स्थित म्यूजियम में लाने की बात हो रही है लेकिन आजतक यह मांग पूरी नहीं हो सकी। स्ािानीय लोग बताते हैं कि जनप्रतिनिधियों ने लोगों की भावनाओं का फिक्र किया होता तो बुद्ध की स्मृतियां यहां आ गई होती।
उद्योग-धंधों का अभाव, बाढ़ से परेशान लोग डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है। यहां बाढ़ से हर साल करोड़ों की संपत्तियां स्वाहा हो जाती है। बाढ़ के स्थायी समाधान के बारे में किसी भी दल/सरकार ने संवेदनशीलता के साथ नहीं सोची। जानकार बताते हैं कि जिले के उस्काबाजार, शोहरतगढ़, बांसी, जोगिया ब्लाॅक सबसे अधिक बाढ़ की वजह से तबाह होता है। डुमरियागंज, इटवा क्षेत्र भी आंशिक रूप से बाढ़ प्रभावित रहता है।
पांच विधानसभा क्षेत्र है इस संसदीय क्षेत्र में सिद्धार्थनगर जिले में एकमात्र डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र है। इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं हैं। डुमरियागंज, शोहरतगढ़, कपिलवस्तु, बांसी और इटवा विधानसभा क्षेत्र। इसमें कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
साढ़े अट्ठारह लाख मतदाता करेंगे सांसद के भाग्य का फैसला डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में 1865465 मतदाता इस बार अपने सांसद का चुनाव करेंगे। 2248 बूथ्स पर 1007793 पुरुश मतदाता तो 857498 महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस बार 174 थर्ड जेंडर भी यहां मतदान करेंगे।
त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे भाजपा सांसद भारतीय जनता पार्टी ने डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से निवर्तमान सांसद जगदंबिका पाल को मैदान में उतारा है। जगदंबिका पाल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे लेकिन 2014 में वह पाला बदलकर भाजपा में आ गए और मोदी लहर में जीतकर संसद में पहुंच गए। इस बार भी वह भाजपा के खेवनहार हैं। महागठबंधन में यह सीट बसपा के कोटे में गई है। बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए यहां से आफताब आलम को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने भाजपा से टिकट के दावेदार युवा चिकित्सक डाॅ.चंद्रेश उपाध्याय को मैदान में उतार दिया है। तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपने अपने समीकरणों के आधार पर काफी मजबूती में दिख रहे हैं।
डुमरियागंज में 45 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी लोकसभा क्षेत्र में हिंदू व मुसलमान आबादी करीब करीब बराबर है। यहां तकरीबन 54 प्रतिशत हिंदू आबादी है तो 45 प्रतिशत के आसपास मुस्लिम आबादी।
2014 के चुनाव में इन्होंने पाया इतना वोट 2014 के लोकसभा चुनाव में डुमरियागंज की जनता ने भाजपा प्रत्याशी जगदंबिका पाल को अपना सांसद चुना था। 17 उम्मीदवारों में जगदंबिका पाल 298845 मत पाकर विजयी हुए थे। बसपा के मुहम्मद मुकीम 195257 वोट पाकर दूसरे तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय सपा के प्रत्याशी के रूप में 174778 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे। पीस पार्टी के अध्यक्ष डाॅ.अयूब खान 99242 वोट पाकर चैथे तो यूपी सरकार के आबकारी मंत्री राजा जय प्रताप सिंह की पत्नी वसुंधरा कांग्रेस के सिंबल पर 88117 वोट बटोर सकी। जय प्रताप सिंह ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर अपनी पत्नी वसुंधरा को कांग्रेस से लड़ाया था जबकि वह खुद भाजपा से विधायक थे।
डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र से इन्होंने किया अबतक प्रतिनिधित्व 1957ः रामशंकर लाल, कांग्रेस
1962ः कृपाशंकर, कांग्रेस
1967ः नारायण स्वरूप शर्मा, जनसंघ
1971ः केडी मालवीय, कांग्रेस
1977ः माधव प्रसाद त्रिपाठी, भारतीय लोकदल
1980ः काजी जलील अब्बासी, कांग्रेस
1984ः काजी जलील अब्बासी, कांग्रेस
1989ः बृजभूषण तिवारी, जनता दल
1991ः रामपाल सिंह, भाजपा
1996ः बृजभूषण तिवारी, सपा
1998ः रामपाल सिंह, भाजपा
1999ः रामपाल सिंह, भाजपा
2004ः मुहम्मद मुकीम, बसपा
2009ः जगदंबिका पाल, कांग्रेस
2014ः जगदंबिका पाल, भाजपा
1962ः कृपाशंकर, कांग्रेस
1967ः नारायण स्वरूप शर्मा, जनसंघ
1971ः केडी मालवीय, कांग्रेस
1977ः माधव प्रसाद त्रिपाठी, भारतीय लोकदल
1980ः काजी जलील अब्बासी, कांग्रेस
1984ः काजी जलील अब्बासी, कांग्रेस
1989ः बृजभूषण तिवारी, जनता दल
1991ः रामपाल सिंह, भाजपा
1996ः बृजभूषण तिवारी, सपा
1998ः रामपाल सिंह, भाजपा
1999ः रामपाल सिंह, भाजपा
2004ः मुहम्मद मुकीम, बसपा
2009ः जगदंबिका पाल, कांग्रेस
2014ः जगदंबिका पाल, भाजपा