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कैंपियरगंज थाने में पंकज कुमार यादव सब-इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हैं। बेटी के इलाज संबंधी एक पत्रावलि एसएसपी कार्यालय में आई थी। पंकज यादव ने अपनी बेटी का इलाज कराया था। इस इलाज में खर्च हुर्इ रकम की प्रतिपूर्ति के लिए फाइल एसएसपी आफिस में भेजवार्इ थी। पंकज यादव इस पत्रावलि पर रिपोर्ट लगाने के लिए आए दिन कार्यालय पहुंच रहे थे। संबंधित टेबुल पर तैनात पुलिस विभाग का लिपिक ज्ञानेंद्र सिंह पीड़ित दरोगा पंकज यादव से फाइल पास कराने के एवज में घूस की डिमांड कर रहा था। वह इलाज के लिए ली जा रही रकम का दस प्रतिशत घूस के रूप में मांग रहा था। पंकज ने देने में असमर्थता जताई तो पत्रावलि लंबित रखने व पास न कराने का धौंस देता रहा। करीब दो महीना दौड़ने के बाद उन्होंने घूसखोर क्लर्क को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
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दरोगा पंकज ने एंटी-करप्शन में जाने का निर्णय लिया। उन्होंने एंटी-करप्शन टीम से संपर्क किया। लखनऊ की एंटी-करप्शन टीम ने जाल बिछाया और गोरखपुर की एंटी-करप्शन टीम की भी सहायता ली। घूसखोर को पकड़ने के लिए आवश्यक कोरमपूर्ति टीम ने की। फिर मंगलवार को पंकज यादव की मदद से एसएसपी आॅफिस के घूसखोर लिपिक ज्ञानेंद्र सिंह को पांच हजार रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
एंटी करप्शन टीम का नेतृत्व कर रहे हरि सिंह ने बताया कि घूसखोर लिपिक के खिलाफ कैंट थाने में मामला दर्ज कराया गया है।
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