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जानिए पान की गुमटी से यूपी का ओवरलोडिंग किंग बनने की डीपी की कहानी

locationगोरखपुरPublished: Feb 19, 2020 04:34:32 pm

प्रदेश के तमाम अधिकारी व सफेदपोश करते थे दरबार
पगार की तरह हर महीने रैकेट से मिलती थी रकम
पूरे प्रदेश में परिवहन विभाग में चलता था डीपी का सिक्का

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महज पंद्रह सालों में ओवरलोडिंग किंग धर्मपाल सिंह ने फर्श से अर्श तक की जो मुकाम हासिल की है उसमें सफेदपोश और नौकरशाहों के सिंडिकेट का भी भरपूर आशीर्वाद हासिल रहा।

जानकर बताते हैं कि ओवरलोडिंग के धंधे का पूरे यूपी में बेताज बादशाह बना धर्मपाल कभी पान की दूकान की गुमटी रख रोजी रोटी कमाता था। लेकिन यह काम उसे ज्यादा दिन रास नहीं आया। किसी ट्रक ड्राइवर की संगत में आकर वह भी ट्रक ड्राइवर बन गया। यह काम उसे रास आने लगा। चूंकि, ट्रक पर ओवरलोड वाहनों को पास कराने में ‘जुगाड़’ खूब चलता है। वह भी अपनी गाड़ी को पास कराने के लिए इस तरह का रास्ता अख्तियार करता था। सोनभद्र से पूर्वांचल समेत विभिन्न राज्यों में माल सप्लाई करने के दौरान उसने एक रैकेट तैयार कर लिया। पहले तो छोटे स्तर पर वह गाड़ियों को पास कराने का काम करने लगा लेकिन धीरे धीरे उसने संगठित तरीके से इस अवैध धंधे को संचालित करना शुरू किया। हर जिले में आरटीओ से लेकर पुलिस थानों में वह सेटिंग करने लगा। यही नहीं हर किसी को वह तय रकम तो पहुंचाता ही था सत्ता व शासन के गलियारों में प्रभावी पैठ का इस्तेमाल कर वहां तक ‘चढ़ावा’ पहुंचा दिया करता था।
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सूत्र बताते हैं कि धर्मपाल ने परिवहन विभाग से जुड़े हर शख्स को अपनी अर्दब में तो लिया ही उसका ‘हिस्सा’ देने से नहीं चुकता। यही कारण है कि धर्मपाल का यह धंधा इतना चमका कि प्रदेश में या इसके बाहर भी किसी को अगर ओवरलोड गाडियों को पास करवानी होती तो वह सीधे बेलीपार के मधुबन होटल के संपर्क करता। यहां एक रकम देने के बाद कुछ कोड दे दिया जाता। ओवरलोडिंग की सेटिंग होटल पर होने के बाद बेरोकटोक गाड़ियों को आने जाने दिया जाता चाहे कितनी भी कड़ाई का दावा न किया जाता हो।
सूत्र बताते हैं कि कोई भी परिस्थिति हो धर्मपाल से बात करने के बाद गाड़ियां आराम से पास हो जाती थी और उसका नाम आते ही किसी भी ओवरलोड गाड़ी को छूने तक की हिम्मत कोई नहीं करता था। सूत्रों की माने तो उसके रैकेट से जुड़े अधिकारी/कर्मचारी/सफेदपोश कोई भी हो उनको महीना में एक तय रकम ईमानदारी से पहुंच जाती थी।
पान की गुमटी से होटल मालिक तक

धर्मपाल उर्फ डीपी सिंह ने महज पंद्रह साल में अकूत संपत्ति हासिल की। एक पान की गुमटी वाले से होटल मालिक बनने तक के सफर में उसने खुद तो लाखों का वारा-न्यारा किया ही सैकड़ों अधिकारियों/सफेदपोशों को भी मालामाल किया।
इस अवैध धंधे के गलियारों में धर्मपाल सिंह उर्फ डीपी सिंह को किंग कहा जाता था।

उसकी रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उसके होटल पर कार्रवाई हुई तो काफी नामी गिरामी चेहरे वहां पहुंच गए। तमाम लक्ज़री गाड़ियां होटल से लेकर थाने तक उसकी खिदमत में लोग लेकर खड़े रहे।
पहले दिन इनकी हुई गिरफ्तारी

ओवरलोडिंग गाड़ियों को पास कराने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए एसटीएफ ने 24 जनवरी को गैंग के सरगना धर्मपाल सिंह समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में बेलीपार के मेहरौली के धर्मपाल सिंह, मनीष सिंह उर्फ सिब्बू सिंह, विवेक सिंह उर्फ सिक्कू सिंह, श्रवण कुमार गौड़, रामसजन तथा देवरिया जिले के कपरवारघाट के शैलेष मल्ल शामिल थे। इस गिरफ्तारी के दौरान एसटीएफ ने तमाम समान के अलावा करीब 35 डायरी-रजिस्टर भी कब्जे में लिया। बताया जा रहा इन डायरी व रजिस्टरों में विभिन्न जिलों के परिवहन विभाग के जिम्मेदारों के नाम पते, बैंक डिटेल के अलावा कब कहाँ कौन सी गाड़ी पास करानी है इसके विवरण थे। यही नहीं किसको कितनी रकम दी गई यह भी दर्ज था।
18 फरवरी को भी हुई बड़ी गिरफ्तारी

एसटीएफ की कार्रवाई के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच खातिर एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी में कार्रवाई करते हुए मंगलवार को बस्‍ती के पीटीओ/ प्रभारी एआरटीओ प्रवर्तन शैलेंद्र कुमार तिवारी, संतकबीनगर के पीटीओ/प्रभारी एआरटीओ प्रवर्तन संदीप चौधरी, बस्‍ती पीटीओ के ड्राइवर उत्‍तम चंद और देवरिया आरटीओ के सिपाही अनिल कुमार शुक्‍ला को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

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