Read this also: तहसीलदार ने आवास पर बुलाया, शारीरिक संबंध के लिए जबर्दस्ती करते हुए कहा कि खुश करोगी तो…! जेई-एईएस के लिए चूहा-छछूंदर उत्तरदायी जेई-एईएस रोग होने की कई वजहें हैं। सूअरों के अलावा गंदगी तो है ही, चूहे-छछूंदर भी हैं। कृषि विभाग का कहना है कि चूहा-छछूंदर भी इस रोग को बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों की राय में इन रोगों की रोकथाम के लिए चूहा एवं छछून्दर का भी प्रभावी नियंत्रण जरूरी है।
ऐसे करें नियंत्रित
चूहों को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का बनाएं। सम्भव हो तो ककंरीट तथा धातु से बने पात्रों में अन्न रखें। खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ सफाई करें। चूहे के प्राकृतिक शत्रुओं यथा बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि का संरक्षण करें।
चूहों को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का बनाएं। सम्भव हो तो ककंरीट तथा धातु से बने पात्रों में अन्न रखें। खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ सफाई करें। चूहे के प्राकृतिक शत्रुओं यथा बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि का संरक्षण करें।
घरों में यह करें प्रयोग घर में चूहेदानी का प्रयोग करना श्रेयष्कर है। अगर दवाओं का प्रयोग करना है तो व्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखें और एल्युमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर उसे बन्द कर दें। इससे उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाएंगे।
संयुक्त कृषि निदेशक संजय सिंह का कहना है कि क्षेत्रीय कार्मिको के माध्यम से जेई और एईएस रोग की रोकथाम के लिए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में कृषि विभाग भी जुटा है।
संयुक्त कृषि निदेशक संजय सिंह का कहना है कि क्षेत्रीय कार्मिको के माध्यम से जेई और एईएस रोग की रोकथाम के लिए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में कृषि विभाग भी जुटा है।