उधर, नियुक्त शिक्षकों का लिफाफा खुलने के पूर्व ही कार्यपरिषद के एक सदस्य प्रो.अजेय कुमार गुप्ता ने लिखित रूप से कुलपति को अपने मत से अवगत कराकर नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। प्रो.गुप्त ने लिफाफा खुलने के पहले ही अपनी असहमति कुछ बिंदुओं पर जताई। प्रो.गुप्त के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया में संविधान द्वारा प्रदत्त नियमों के तहत आरक्षण प्रक्रिया का पालन नियमानुसार नहीं किया गया है। यही नहीं विवि की नियुक्ति के पहले ही यूजीसी ने आरक्षण के संबधित एक सर्कुलर जारी किया है। इसको भी दरकिनार कर दिया गया है। जबकि केंद्र सरकार ने भी इस बाबत एक निर्देश जारी किया गया है। आरक्षण से संबंधित आदेशों की अवहेलना के साथ साथ पूरी प्रक्रिया पर भी प्र्रो.अजेय कुमार गुप्ता ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि लिफाफा खोलने के पहले साक्षात्कार में शामिल आवेदकों के आवदेन का सारांश, कुल प्राप्तांक, उनकी शैक्षणिक-अकादमिक उपलब्धियां का प्राप्तांक व इंटरव्यू का प्राप्तांक विविरण भी सार्वजनिक नहीं करना संदेह उत्पन्न करता है।
हालांकि, प्रो.अजेय कुमार गुप्ता की नियुक्ति प्रक्रिया में संदेह उत्पन्न करने के बाद विवि ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए लेकिन अचानक से उनको विवि के ईडीपी सेल के प्रभारी पद से मुक्त करने का आदेश इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि विवि के जिम्मेदारों के खिलाफ आवाज उठाना इस सीनियर प्रोफेसर को भारी पड़ गया।
बहरहाल, गोरखपुर विवि के ईडीपी सेल के प्रभारी प्रो.अजेय कुमार गुप्ता की जगह प्राणि विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो.विनय कुमार सिंह को नियुक्त कर दिया गया है।
हालांकि, प्रो.अजेय कुमार गुप्ता की नियुक्ति प्रक्रिया में संदेह उत्पन्न करने के बाद विवि ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए लेकिन अचानक से उनको विवि के ईडीपी सेल के प्रभारी पद से मुक्त करने का आदेश इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि विवि के जिम्मेदारों के खिलाफ आवाज उठाना इस सीनियर प्रोफेसर को भारी पड़ गया।
बहरहाल, गोरखपुर विवि के ईडीपी सेल के प्रभारी प्रो.अजेय कुमार गुप्ता की जगह प्राणि विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो.विनय कुमार सिंह को नियुक्त कर दिया गया है।